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‘उद्योगों के बिना झारखंड का विकास असंभव’

‘समाज, प्रशासन व इंडस्ट्री में आंतरिक संबंध व झारखंड का सर्वागीण विकास’ विषयक सेमिनार में बोले वक्ता बोकारो : ‘‘मान्यता है जहां उद्योग लगता है, वहां रोजगार खुद ही पैदा हो जाता है. झारखंड में उद्योगों को विकसित करने के लिए हर जरूरत को पूरी करने की ताकत है. बावजूद इसके झारखंड में उस रफ्तार […]

‘समाज, प्रशासन व इंडस्ट्री में आंतरिक संबंध व झारखंड का सर्वागीण विकास’ विषयक सेमिनार में बोले वक्ता
बोकारो : ‘‘मान्यता है जहां उद्योग लगता है, वहां रोजगार खुद ही पैदा हो जाता है. झारखंड में उद्योगों को विकसित करने के लिए हर जरूरत को पूरी करने की ताकत है. बावजूद इसके झारखंड में उस रफ्तार से उद्योग नहीं पनपे जैसी भौगोलिक स्थिति इसकी मंजूरी देता है. कारण है समाज, प्रशासन व इंडस्ट्री में आंतरिक संबंध की कमी. इसकी वजह से झारखंड प्रदेश का सर्वागीण विकास नहीं हो पाया.
यदि हमें झारखंड को विकसित राज्य बनाना है, तो सबसे पहले उद्योगों के लिए सकारात्मक माहौल बनाना होगा और इसमें समाज के सभी तबकों की भूमिका सुनिश्चित करनी होगी.’’ यह निष्कर्ष रविवार को ‘इंडिया टेलिंग’ की ओर से चास स्थित वीणा रेसिडेंसी में आयोजित सेमिनार में निकला. सेमिनार का विषय था-‘‘समाज, प्रशासन व इंडस्ट्री में आंतरिक संबंध व झारखंड के सर्वागीण विकास.’’
सेमिनार का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि बोकारो एसपी ए विजयालक्ष्मी, विशिष्ट अतिथि डीपीएस की निदेशक सह प्राचार्या डॉ हेमलता एस मोहन, विशिष्ट वक्ता निरसा विधायक अरूप चटर्जी, इलेक्ट्रो स्टील के प्रभारी निदेशक आरएस सिंह, मोंगिया स्टील के चेयरमैन गुणवंत सिंह सलूजा, आइएसएम के डॉ प्रमोद पाठक व सेमिनार के संयोजक सह ‘हमारा भारत संचयन’ के संपादक अभिषेक कश्यप ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया.
‘उद्योगों के बिना
सेमिनार में बोकारो, धनबाद व गिरिडीह के दर्जनों उद्यमी व समाज के प्रबुद्ध लोग शामिल हुए. संचालन व धन्यवाद ज्ञापन विक्रांत उपाध्याय ने किया.
प्रशासन के साथ आम लोग भी जवाबदेह बनें
एसपी ए विजयालक्ष्मी ने कहा : इंडस्ट्री पर समाज का विकास निर्भर करता है. लेकिन इंडस्ट्री लगने से पहले ही उस पर तरह-तरह का प्रभाव दिखने लगता है. उद्योग पर समाज व प्रशासन का प्रभाव राज्य दर राज्य बदलता है.
इसके पीछे राज्य की राजनीति व जनता की जागरूकता जिम्मेदार होती है. प्रशासन सिर्फ राज्य की पॉलिसी पर डिपेंड रहता है. प्रशासन उद्योग पर तीन तरीके से जिम्मेदारी निभाता है. इंडस्ट्री के लिए जमीन अधिग्रहण के समय प्रशासन संवहक का काम करता है. कुछ मामलों में प्रशासन मॉनीटरिंग का काम करता है.
प्रशासन के साथ साथ आम जनता को राज्य के विकास के लिए जवाबदेह बनना पड़ता है. जनप्रतिनिधि राजनीतिक जमीन बनाने के लिए मुद्दे को अलग रंग देते हैं, जिसे समझना जनता का काम है. प्रदेश को विकसित तब ही कहा जा सकता है, जब विकास का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले. सरकार को भी ऐसा कानून बनाना चाहिए, जिससे उद्योग व समाज में आसानी से सामंजस्य स्थापित हो सके.
विश्वास के बिना समाज का विकास नहीं
विशिष्ट अतिथि डीपीएस बोकारो की निदेशक सह प्राचार्या डॉ हेमलता एस मोहन ने कहा : राज्य बंटवारे के बाद हर किसी ने विकास का सपना संजोया था. राज्य में स्थिति ऐसी है कि कोई भी इंडस्ट्री लगने के पहले ही विरोध शुरू होने लगता है. लोगों को समझना होगा सिर्फ विरोध से ही रास्ता नहीं निकल सकता है. इंडस्ट्री व आम आदमी एक दूसरे के पूरक हैं. प्रशासन दोनों के बीच पुल का काम करता है. इन तीनों के बीच की दूरी कम करने की जरूरत है.
विश्वास के बिना समाज का विकास नहीं हो सकता है. कहा : किसी भी मसले को लेकर प्रदेश में बिना किसी पुख्ता जानकारी के ही विरोध होने लगता है, इस विरोध को कम करने में प्रशासन अहम भूमिका निभा सकता है. इंडस्ट्री को किसी जगह को उजाड़ने के पहले बसाने के बारे में सोचना चाहिए. प्रशासन, इंडस्ट्री व समाज को एक लाइन पर आ कर काम करना होगा. तब ही झारखंड का समूचा विकास संभव है.
विकास के लिए औद्योगिकीकरण जरूरी
आरएस सिंह ने कहा : रोजगार की आवश्यकता हर किसी को है, पर रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्र का विरोध कर उसे स्थापित नहीं होने दिया जाता. स्थिति यह है कि इंडस्ट्री को बंद करने या नुकसान पहुंचाने के लिए एक ही घटना के लिए कई मुकदमा दर्ज किया जाता है.
देश में सिस्टम तो बहुत बनता है, पर पालन करने की कोशिश नहीं की जाती. उद्योग व समाज के बीच सीधा संबंध होता है. उद्योग से समाज को फायदा होता है. साथ ही समाज के कारण ही उद्योग का विकास होता है. सामाजिक स्वीकार्यता के बिना उद्योग सफल नहीं हो सकता है.
श्री सिंह ने कहा : वर्तमान में उद्योग को कृषि के दुश्मन के तौर पर देखा जाता है, पर सच्चई इससे से अलग है. उद्योग के साथ कृषि का विकास संभव है. इसके लिए नीति बनाने व उस पर काम करने की जरूरत है. अराजक तत्वों के कारण लोग समझने के पहले ही इंडस्ट्री को गलत करार दे देते हैं. इससे नुकसान उद्योग व समाज दोनों को होता है.

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