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आग उगल रहे सूरज भगवान, तप रही है धरती
बोकारो: अब बस भी करो, ऐसे न जलाओ सूर्य देवता.. यह फरियाद हर किसी के जेहन में है. धूप का दंश ऐसा मानो बादल इससे जल चुके हो. शरीर को झुलसा देने वाली धूप ऐसी मानो सूर्य व धरती के बीच किसी प्रकार का कोई अवरोध ही नहीं हो. लोगों के लिए तापमान का ताप […]
बोकारो: अब बस भी करो, ऐसे न जलाओ सूर्य देवता.. यह फरियाद हर किसी के जेहन में है. धूप का दंश ऐसा मानो बादल इससे जल चुके हो. शरीर को झुलसा देने वाली धूप ऐसी मानो सूर्य व धरती के बीच किसी प्रकार का कोई अवरोध ही नहीं हो. लोगों के लिए तापमान का ताप ङोलना मुश्किल हो गया है. लाख कोशिश भी गरमी के आगे घुटने टेक दे रही हैं. आलम यह है कि सुबह आठ के बाद ही लोग घर में दुबक जा रहे हैं. दिन चढ़ने के साथ सड़कों पर सन्नाटा पसर जा रहा है. बहुत जरूरत होने के बाद ही इक्का दुक्का लोग घर से बाहर निकलने की जहमत उठा रहे हैं.
हर दिन नये पारा को छू रहा तापमान
गरमी से राहत के लिए लोग पंखे का इस्तेमाल करते हैं, पर पंखा भी गरम हवा दे रहा है. पारा हर दिन नये स्तर को छू रहा है. अभी पारा 44 के पार चला गया है. ऐसे में कूलर व एसी भी साथ निभाने से इनकार कर रहे हैं. घड़ा व सुराही की बात क्या करें, सूर्य की तपिश के कारण फ्रिज का पानी भी गले को कोरी राहत ही पहुंचा पा रहे हैं. शाम छह बजे के बाद भी हवाओं में धूप का असर साफ महसूस हो रहा है. मानो हवा को गरमी ने अपने वश में कर लिया हो. देर रात के बाद भी लोगों को मौसम की मार से राहत नहीं मिल रही है.
चिलचिलाती धूप से बचने की कोशिश
मौसम की बेरुखी ऐसी है, जिससे ना कुछ ठंडा लग रहा है, ना ही कुछ कूल- कूल. लोग शीतल पेय पी रहे हैं, पर इसका असर भी कुछ समय के बाद खत्म हो जा रहा है. लोग देशी गन्ना का रस व बेल की शरबत पी कर गरमी के असर को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. चिलचिलाती धूप से बचने के लिए गमछा-रूमाल का प्रयोग हो रहा है. युवतियां छाता का प्रयोग कर रह रही है. बाइक व स्कूटी चलाते समय लोग बदन को ज्यादा से ज्यादा ढंकने की कोशिश कर रहे हैं. धूप का तेज ऐसा कि नंगी आंखों से आस- पास देखना चुनौती बन गयी हो.
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