नयी दिल्ली : अनिल अग्रवाल समूह की कंपनी वेदांता नेशनिवारको कहा कि उसे दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स कंपनी की अधिग्रहण बोली में विजेता घोषित किया गया है. कंपनी ने बंबई शेयर बाजार को बताया, ‘‘ वेदांता लिमिटेड सूचित करता है कि उसे दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता 2016 के तहत इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स […]
नयी दिल्ली : अनिल अग्रवाल समूह की कंपनी वेदांता नेशनिवारको कहा कि उसे दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स कंपनी की अधिग्रहण बोली में विजेता घोषित किया गया है. कंपनी ने बंबई शेयर बाजार को बताया, ‘‘ वेदांता लिमिटेड सूचित करता है कि उसे दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता 2016 के तहत इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स की नीलामी प्रक्रिया में ऋणदाताओं की समिति द्वारा सफल समाधान आवेदक घोषित किया गया है. कंपनी को इस बाबत आज आशय पत्र मिल गया.” वेदांता ने कहा कि उसने आशय पत्र की शर्तें स्वीकार कर ली है. उसने कहा कि इस सौदे का पूरा होना लागू नियामकीय जरूरतों तथा राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण की अंतिम शर्तों पर निर्भर करेगा.
चंदनकियारी में है प्लांट
बोकारो के चंदनकियारी में स्थित यह प्लांट घाटे से जूझ रही थी.बताया जा रहा है कि उत्पादन कार्य प्रारंभ होते ही कंपनी को प्रथम आर्थिक चोट तब पहुंची जब मार्च 2015 में कंपनी का कोल ब्लॉक असमय ही काल का ग्रास बनकर बंद हो गया. इसके कुछ समय बाद मई 2016 में ऑक्सीजन प्लांट में ब्लास्ट हो गया, इससे कंपनी को काफी आर्थिक नुकसान हुआ. इसी बीच स्टील बाजार में काफी गिरावट आने से भी कंपनी को काफी आर्थिक क्षति हुई. उत्पाद कार्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा.
बैंकों से लिया था 14 हजार करोड़ का कर्ज
इलेक्ट्रोस्टील लिमिटेड को बैंक ने कुछ महीनों पहले ही टेकओवर कर लिया था. कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में बैंक ने इस फैक्ट्री को अपने अधीन कर लिया था. इलेक्ट्रोस्टील लिमिटेड ने 14 बैंकों से कुल 14 हजार करोड़ रूपये का कर्ज लिया था. कंपनी अपने उत्पादन के आधार पर किसी तरह सिर्फ ब्याज दे पा रही थी. इसी बीच लोन देने वाले बैंकों ने मामले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के सामने लाया.
नौ साल पहले इलेक्ट्रो स्टील की रखी गयी थी नींव
इलेक्ट्रो स्टील लिमिटेड की नींव वर्ष 2008 में रखी गयी थी और उत्पादन वर्ष 2012 में शुरू किया गया था. जानकारी के मुताबिक इलेक्ट्रोस्टील लिमिटेड री पेमेंट करने की स्थिति में नहीं था. बैंकों के द्वारा कंपनी को री पेमेंट के लिए लगातार नोटिस दी जा रही थी. बाद में सभी बैंकों के प्रतिनिधियों द्वारा मिलकर लेंडर्स कमिटी बनायी गयी. इसी कमिटी के निर्णय के आधार पर बैंक ने इलेक्ट्रोस्टील लिमिटेड को अपने कंट्रोल में कर लिया था. बैंक के कन्सलटेंट पीडब्लूसी को पूरे इलेक्ट्रोस्टील लिमिटेड की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सभी बैंकों का नेतृत्व कर रहा है.
चीन के कई तकनीशीयन करते थे काम
प्लांट में चीन के कई इंजीनियर भी काम करते थे. वहीं कंपनी में 2200 स्थायी मजदूर थे और लगभग आठ हजार अस्थायी मजदूर जुड़े थे. कंपनी में 150 ठेकेदारों के साथ 50 कंपनियां काम करती थी. यहां पीग आयरन, बिलेट्स, टीएमटी बार, वायर रॉड और डीआइ पाईप का निर्माण होता है. जिसकी कुल क्षमता प्रत्येक वर्ष 2.51 मिलियन टन की है.