हर दिन लुढ़कते पारा से जनजीवन अस्त-व्यस्त
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अब कुल्फी जमा कर ही मानेगी ठंड
हर दिन लुढ़कते पारा से जनजीवन अस्त-व्यस्त बोकारो : आज स्कूल बस नहीं आयेगी, बच्चा को स्कूल पहुंचा दीजिए… हम नहीं जायेंगे, छोड़ो आज बच्चा स्कूल नहीं जायेगा. ऐसे भी बहुत ठंड है… ये हर घर की कहानी है. हर दिन पारा लुढ़क रहा है. लुढ़कते पारा के साथ दिनचर्या शिथिल बनती जा रही है. […]
बोकारो : आज स्कूल बस नहीं आयेगी, बच्चा को स्कूल पहुंचा दीजिए… हम नहीं जायेंगे, छोड़ो आज बच्चा स्कूल नहीं जायेगा. ऐसे भी बहुत ठंड है… ये हर घर की कहानी है. हर दिन पारा लुढ़क रहा है. लुढ़कते पारा के साथ दिनचर्या शिथिल बनती जा रही है. बोकारो ठंड की आगोश में घिरा है. शीतलहर के बीच सूर्य की किरण बदन को राहत देने में असफल हो रही है.
सच में सिर्फ फॉग चल रहा है : ठंड में रजाई-बिछावन व इंसान की मित्रता प्रगाढ़ होती है. बावजूद इसके जरूरी काम के चलते लोगों को घर से निकलना ही पड़ता है. अहले सुबह घर से निकलने के बाद जो दृश्य आंखों के सामने आता है, उससे आभास हुआ कि सच में सिर्फ फॉग ही चल रहा है. सोमवार को जब बोकारो की आंख खुली तो आसमान में घना कोहरा छाया हुआ था. विजिबिलिटी कुछ मीटर की ही रह गयी थी. कोहरे का असर आठ बजे के बाद खत्म हो गया. औसतन 05 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से बहती हवा ने लोगों को ठिठुरने पर विवश कर दिया.
स्कूल टाइमिंग बदलने का भी फायदा नहीं
ठंड के कारण जिला प्रशासन ने सभी सरकारी व निजी स्कूल के टाइम में बदलाव किया है. स्कूल 09 बजे से लग रहा है. राहत के नाम पर उठाया गया कदम भी नाकाफी साबित हो रहा है. बच्चों को स्कूल भेजने के पहले अभिभावक पूरी तैयारी कर रहे हैं. टोपी, दस्ताना, ऊनी मौजा से बच्चों को बख्तरबंद कर स्कूल भेजा जा रहा है.
भाई हम तो नहाना भूल गये हैं…
ठंड में चाय पसंदीदा पेय होता है. सेक्टर 01 स्थित श्रीराम मंदिर में युवाओं की टोली चाय का आनंद ले रहे थी. साथ में ठंड की चर्चा भी हो रही थी. एक युवा ने फट से कहा : तुम लोग बहादुर हो, हम तो ई ठंडा में नहाना भूल गये हैं. नहाने का रिस्क हम नहीं ले रहे हैं. जब ठंडा कम होगा तो देखा जायेगा…
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