एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय शर्मा, सचिव हरवंश सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष गुरविंदर सिंह, प्रवक्ता संजय सोनी, सदस्य जयप्रकाश, विनय वैद, संजीव, सौरभ आदि शामिल हैं. इनका कहना है कि वे पहले से रक्तदान करते आ रहे हैं. बाद में वे एसोसिएशन का हिस्सा बने.
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बोकारो ब्लड डोनर्स एसोसिएशन: दो साल में 500 से अधिक यूनिट रक्तदान किया …ताकि खून की कमी से न हो किसी की मौत
बोकारो: … ताकि खून की कमी से किसी की मौत न हो. इसी उद्देश्य से लगभग दो वर्ष पूर्व बोकारो ब्लड डोनर्स एसोसिएशन की स्थापना 11 सदस्यों से हुई. दो साल में एसोसिएशन के सदस्यों ने 500 से अधिक यूनिट रक्तदान किया है. आज एसोसिएशन के 111 सदस्य हर पल रक्तदान के लिए तैयार रहते […]
बोकारो: … ताकि खून की कमी से किसी की मौत न हो. इसी उद्देश्य से लगभग दो वर्ष पूर्व बोकारो ब्लड डोनर्स एसोसिएशन की स्थापना 11 सदस्यों से हुई. दो साल में एसोसिएशन के सदस्यों ने 500 से अधिक यूनिट रक्तदान किया है. आज एसोसिएशन के 111 सदस्य हर पल रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं. एसोसिएशन मुख्य रूप से थैलिसीमिया बीमारी से पीड़ित मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर रक्त मुहैया कराता है. साथ ही उनके लिए नि:शुल्क दवा भी उपलब्ध कराता है.
इन्होंने किया है 20 बार से अधिक रक्तदान
अब तक 25 बार रक्तदान कर चुका हूं. पहली बार 21 वर्ष की उम्र में बीजीएच में मां के लिए रक्तदान किया था. मां कैंसर की बीमारी से पीड़ित थी. रक्तदान करने से हर समय स्वस्थ महसूस करता हूं. अभी तक कोई बीमारी नहीं है.
हरवंश सिंह सलूजा, चास
24 बार रक्तदान कर चुका हूं. पहली बार 1998 में जब कोलकाता में बीए पार्ट-2 में था, तब शिविर में रक्तदान किया था. मां को खून की जरूरत थी. पापा उसके लिए बहुत परेशान थे. उसी समय फैसला लिया कि रक्तदान करूंगा.
संजय शर्मा, चास
22 बार रक्तदान कर चुका हूं. वर्ष 2008 में 21 वर्ष की उम्र में पहली बार बैंक के रक्तदान शिविर में रक्तदान किया था. एक बार पापा को जरूरत थी तो किसी ने रक्त नहीं दिया. उसी समय सोचा कि रक्त से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए.
गुरविंदर सिंह, चास
24 बार रक्तदान कर चुका हूं. रक्तदान से किसी को नया जीवन मिल सकता है, यह खुशी अच्छी लगती है. पहली बार बांकुड़ा की गर्भवती महिला के लिए बीजीएच में रक्तदान किया था. बच्चा होने के बाद उसे ब्लड की जरूरत थी.
संजय सोनी, चास
अब तक 22 बार रक्तदान कर चुका हूं. वर्ष 2002-03 में जब बीकॉम का छात्र था, तब शिविर में पहली बार रक्तदान किया था. थैलिसीमिया के मरीज को ध्यान में रख कर रक्तदान करता हूं, क्योंकि उनके लिए बहुत ब्लड की जरूरत है.
अमित रस्तोगी, चास
खुशी का पल…
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया : लगभग छह माह पूर्व बीजीएच में एक गर्भवती महिला भर्ती थी. स्थिति ऐसी हो गयी कि उसे रक्त की जरूरत पड़ी, वह भी ए निगेटिव. तभी मां व बच्चा में से किसी एक को बचाया जा सकता था. जानकारी मिलते ही एसोसिएशन सक्रिय हुआ और तुरंत ए नेगेटिव ब्लड की व्यवस्था करायी गयी. उसके बाद मां व बच्चा दोनों बच गये. आज दोनों स्वस्थ है. यह घटना एसोसिएशन के लिए अब तक का सबसे बड़ा खुशी का पल है.
परिजन करें पहल…
एसोसिएशन के अधिकारियों का मानना है कि जिस व्यक्ति को रक्त की जरूरत है, उस व्यक्ति के परिजन को पहले रक्तदान के लिए पहल करना चाहिए. अमूमन होता यह है कि किसी को अगर ब्लड की जरूरत पड़ती है, तो वह एसोसिएशन से संपर्क करता है और चाहता है कि खून की कमी को एसोसिएशन ही पूरा कर दें. इसलिए हमने यह शर्त रखी है कि हम रक्तदान उसी के लिए करेंगे, जिसके परिजनों ने पहले रक्तदान किया हो. ब्लड के लिए 9122100503 पर किसी भी दिन किसी भी समय संपर्क किया जा सकता है. लेकिन, हां एक शर्त है. पहले उस परिवार के दो-तीन सदस्यों को रक्तदान करना होगा. एसोसिएशन के आधा दर्जन से अधिक सदस्य ऐसे हैं, जो अब तक 20 बार से अधिक रक्तदान कर चुके हैं. इसके लिए इन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है.
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