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जैक लेती है आलिम-फाजिल की परीक्षा दूसरे राज्य नहीं देते मान्यता

रांची: झारखंड में मदरसों से आलिम(स्नातक ऑनर्स) व फाजिल ( स्नातकोत्तर) करने वाले परीक्षार्थियों की डिग्री को दूसरे राज्यों में मान्यता नहीं दी जाती है. इसके कारण विद्यार्थी न तो दूसरे राज्यों में नामांकन ले पाते हैं और न ही स्नातक व पीजी स्तर की नौकरी के लिए आवेदन जमा कर पाते हैं. राज्य से […]

रांची: झारखंड में मदरसों से आलिम(स्नातक ऑनर्स) व फाजिल ( स्नातकोत्तर) करने वाले परीक्षार्थियों की डिग्री को दूसरे राज्यों में मान्यता नहीं दी जाती है. इसके कारण विद्यार्थी न तो दूसरे राज्यों में नामांकन ले पाते हैं और न ही स्नातक व पीजी स्तर की नौकरी के लिए आवेदन जमा कर पाते हैं. राज्य से प्रति वर्ष हजारों विद्यार्थी मदरसों से

आलिम व फाजिल की डिग्री प्राप्त करते हैं. आलिम व फाजिल की परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा ली जाती है. जबकि यह प्लस टू स्तर (इंटर) तक की परीक्षा लेने के लिए ही अधिकृत है.

दोनों की परीक्षा विश्वविद्यालय स्तर से होनी चाहिए. झारखंड के बाहर दोनों डिग्रियों को मान्यता नहीं मिलने से दूसरे राज्यों की प्रशासनिक सेवा, बैंक, रेलवे व केंद्र सरकार की अन्य नौकरियों के लिए छात्रों का आवेदन रिजेक्ट हो जाता है.

राष्ट्रपति शासन में शुरू हुई थी कार्रवाई
छात्र संगठन व मदरसा शिक्षकों द्वारा यह मामला समय-समय पर उठाया जाता रहा है. वर्ष 2013 में राष्ट्रपति शासन के दौरान इस मामले में कार्रवाई भी शुरू हुई थी. राज्यपाल के निर्देश पर शिक्षा सचिव ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी. विवि से भी इस मामले में जानकारी मांगी गयी थी. राष्ट्रपति शासन हटने के बाद यह मामला ठंडा पड़ गया है.

विधानसभा में उठा था मामला
पिछले विधानसभा सत्र में विधायक अकिल अख्तर, पौलुस सुरीन व विद्युतवरण महतो ने आलिम व फाजिल की डिग्री को मान्यता देने के मामले को उठाया था. विधायकों ने कहा था कि आलिम व फाजिल की पढ़ाई विश्वविद्यालय स्तर की है. इसकी परीक्षा झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा लिये जाने से इसे दूसरे राज्यों में मान्यता नहीं दी जाती है. विधायकों ने इसमें सुधार की मांग की थी.

नहीं होती पूरक परीक्षा
मदरसा शिक्षा के अंतर्गत होने वाली वस्तानिया, फोकानिया, मौलवी, आलिम व फाजिल की परीक्षा में पूरक परीक्षा का प्रावधान नहीं है. वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को पूरक परीक्षा में शामिल होने का मौका नहीं मिलता. एक वर्ष बाद ही वे परीक्षा दे पाते हैं.

बढ़ रही परीक्षार्थियों की संख्या
राज्य में आलिम परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जबकि फाजिल परीक्षा में संख्या घटती-बढ़ती रही है. वर्ष 2010 में आलिम परीक्षा में 1398 व फाजिल में 804 परीक्षार्थी शामिल हुए थे. जबकि वर्ष 2013 में आलिम में 2199 व फाजिल 892 परीक्षार्थी शामिल हुए थे.

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