नयी दिल्ली :झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को कोयला घोटाला मामले में आज जमानत मिल गयी. उन्हें कोर्ट ने पांच लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है. जमानत पर यह शर्त भी लागू है कि वे देश छोड़कर नहीं जायेंगे.मधु कोड़ा के जमानत आग्रह का सीबीआई ने काफी विरोध किया था और यह कहा था कि वे गवाहों को भ्रमित कर सकते हैं.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर को बताया कि कोड़ा के अलावा, मामले में अन्य आरोपी झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु एवं पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता हैं और राजनीतिज्ञ तथा लोकसेवक होने की वजह से वे लोग मामले के गवाहों को फुसला सकते हैं.
वरिष्ठ लोक अभियोजक वी के शर्मा ने अदालत को बताया, अभियोजन का मामला मौखिक गवाही पर आधारित है. लोक सेवक और राजनीतिज्ञ बहुत प्रभावशाली लोग हैं और उनकी यह बात कि उन्हें पहले गिरफ्तार नहीं किया गया, यह दर्शाती है कि वे बहुत प्रभावशाली हैं. शर्मा ने अदालत को यह भी बताया कि गुप्ता ने जांच समिति की सिफारिशों के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को गुमराह किया था और उन दिनों गुप्ता ही जांच समिति के अध्यक्ष थे.
कोड़ा और अन्य के जमानत संबंधी आग्रह का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक आर एस चीमा ने कहा कि मामले में गवाहों को फुसलाया जा सकता है. कोड़ा, बसु, गुप्ता, लोकसेवक बिपिन बिहारी सिंह और बसंत कुमार भट्टाचार्य, कोलकाता स्थित विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लि (वीआईएसयूएल) के निदेशक वैभव तुलस्यान, चार्टर्ड एकाउंटेंट नवीन कुमार तुलस्यान और कोड़ा के कथित करीबी सहयोगी विजय जोशी आज अदालत में पेश हुए। इन सभी के खिलाफ सम्मन जारी किया गया था.यह मामला झारखंड के राजहरा नॉर्थ कोयला ब्लॉक का वीआईएसयूएल को आवंटन किये जाने में कथित अनियमितताओं का है.
आठों आरोपी अदालत में पेश हुए और उनके अधिवक्ताओं ने उनकी ओर से जमानत के अलग- अलग आवेदन प्रस्तुत किये. जमानत का आग्रह करते हुए कोड़ा के वकील ने अदालत को बताया कि जांच समिति वीआईएसयूएल को कोयला ब्लॉक आवंटित करने की सिफारिश पहले ही कर चुकी थी और इससे कोड़ा का कोई लेनादेना नहीं था.
उनके वकील ने तर्क दिया कि कोड़ा ने जांच के दौरान सहयोग किया और सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था इसलिए उन्हें अब न्यायिक हिरासत में भेजने की कोई जरूरत नहीं है.अन्य सात आरोपियों की ओर से पेश वकीलों ने इसी तरह तर्क दिया कि उनके मुवक्किलों ने जांच में सहयोग किया और ऐसा कोई आरोप नहीं है कि वे सबूतों से छेड़छाड़ करें या गवाहों को फुसलाएं.जमानत के आग्रहों पर तर्क सुनने के बाद अदालत ने अपना आदेश आज दोपहर तीन बजे तक सुरक्षित रख लिया.