UPI Payments Freez: डिजिटल लेनदेन की बढ़ती दुनिया में सुरक्षा को लेकर नए विचार लगातार सामने आ रहे हैं. इसी कड़ी में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रबंध निदेशक, कॉर्पोरेट बैंकिंग और सहायक कंपनियों के प्रमुख अश्विनी कुमार तिवारी ने बुधवार को कहा कि यूपीआई भुगतान को अस्थायी रूप से रोकने या फ्रीज करने जैसे किसी भी कदम पर अंतिम निर्णय केवल आरबीआई और एनपीसीआई जैसे नियामक संस्थानों द्वारा ही लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कुछ पक्षों ने सुझाव दिया है कि डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में ग्राहकों की सुरक्षा के लिए यूपीआई भुगतान को निपटान से पहले कुछ समय के लिए रोका जाए, लेकिन इस दिशा में फिलहाल कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है. किसी एक बैंक के स्तर पर ऐसा कदम उठाना संभव नहीं है, क्योंकि यूपीआई भारत की एकीकृत भुगतान प्रणाली है और इसके नियमों में बदलाव व्यापक स्तर पर ही किया जा सकता है.
नियामक संस्थाओं की भूमिका
अश्विनी कुमार तिवारी के अनुसार, अगर किसी लेनदेन को अस्थायी रूप से फ्रीज करने का सिस्टम लागू भी किया जाता है, तो यह भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) और भारतीय रिजर्ब बैंक (आरबीआई) की मंजूरी से ही संभव होगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि यूपीआई भुगतान को 30 मिनट या उससे अधिक समय के लिए रोकने जैसे किसी भी उपाय पर अभी विचार चल रहा है और इसे लेकर विभिन्न उद्योग विशेषज्ञों और बैंकिंग क्षेत्र के प्रतिनिधियों की राय ली जा रही है. जब तक नियामकीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी नहीं होते, तब तक किसी भी बैंक के लिए स्वतंत्र रूप से इस व्यवस्था को लागू करना संभव नहीं है. इस बयान से स्पष्ट है कि सुरक्षा को बढ़ाने के विकल्पों पर विचार तो हो रहा है, लेकिन इसे लागू करने से पहले व्यापक मूल्यांकन की जरूरत होगी.
डिजिटल धोखाधड़ी और उपभोक्ता सुरक्षा पर जोर
भारत में डिजिटल भुगतान का दायरा अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है, जिससे सुरक्षा चुनौतियों का भी नया आयाम सामने आया है. अश्विनी कुमार तिवारी ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली ऐसे उपाय तलाश रही है, जो धोखाधड़ी या अनजाने में हुए लेनदेन की स्थिति में ग्राहकों को तेज और प्रभावी समाधान दे सके. डिजिटल फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए ग्राहक सुरक्षा अब प्राथमिकता बन चुकी है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अगर गलत लेनदेन होते हैं, तो उन्हें रोकने या वापस पाने के लिए एक मजबूत सिस्टम तैयार करना जरूरी है. इस दिशा में विचार-विमर्श जारी है और तकनीकी प्रणालियों को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है.
बैंकिंग क्षेत्र में एआई का तेजी से बढ़ता उपयोग
अश्विनी कुमार तिवारी ने बैंकिंग क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के एकीकरण को भी विस्तार से समझाया. उन्होंने बताया कि बैंक अब एआई का सबसे अधिक उपयोग चार प्रमुख क्षेत्र ग्राहकों के लिए उत्पाद सुझाव और व्यक्तिगत सेवाएं प्रदान करना, धोखाधड़ी के जोखिमों से सुरक्षा और साइबर सुरक्षा को मजबूत करना, मार्केटिंग प्रक्रियाओं को अधिक प्रभावी बनाना और ग्राहकों व कर्मचारियों दोनों के लिए चैटबॉट आधारित सहायता स्थापित करने में में कर रहे हैं. एआई बड़े पैमाने पर डेटा का विश्लेषण कर सकता है, जिससे कई ऐसे कार्य तेजी से पूरे हो सकते हैं, जिन्हें मैन्युअल तरीके से करने में लंबे समय लगते थे.
उभरती तकनीकों के जोखिम और संतुलित दृष्टिकोण
अश्विनी कुमार तिवारी ने यह भी चेतावनी दी कि तकनीक जितनी सुविधाएं लाती है, उतने ही जोखिम भी लेकर आती है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बैंकों को न केवल नई तकनीकों को अपनाना है, बल्कि इनसे जुड़े जोखिमों का कुशलता से प्रबंधन भी करना है. धोखाधड़ी करने वाले लगातार नए तरीके खोज रहे हैं. इसलिए बैंकों को तकनीकी मॉडलों और एआई आधारित सुरक्षा ढांचे को लगातार अपडेट रखना होगा. उन्होंने कहा कि ग्राहकों को जागरूक करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि तकनीकी सुरक्षा को मजबूत करना है. अगर ग्राहक सतर्क रहें और बैंक सुदृढ़ तकनीक का इस्तेमाल करें, तो डिजिटल फ्रॉड को काफी हद तक रोका जा सकता है.
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डिजिटल अर्थव्यवस्था में सुरक्षा का बढ़ता महत्व
अश्विनी कुमार तिवारी का बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत में डिजिटल भुगतान की मात्रा लगातार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रही है. यूपीआई अब देश की सबसे विश्वसनीय और सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली भुगतान प्रणाली बन चुकी है. इस तेजी ने सुरक्षा से जुड़े सवालों को भी प्रमुखता से खड़ा किया है. नियामक संस्थाएं ग्राहकों की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नए उपायों पर विचार कर रही हैं और भविष्य में यूपीआई भुगतानों के लिए एक अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और नियंत्रण आधारित ढांचा लागू हो सकता है.
एएनआई इनपुट के साथ
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