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नक्सल अभियान में जैप कमांडेंट होंगे शामिल

रांची: राज्य के जिलों में नक्सलियों के खिलाफ चलनेवाले अभियान में अब जैप (झारखंड आम्र्ड पुलिस) व आइआरबी (इंडिया रिजर्व बटालियन) के कमांडेंट भी शामिल होंगे. नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात जैप व आइआरबी को फोर्स के द्वारा दी जानेवाली सूचनाओं को कमांडेंट संबंधित जिलों के एसपी से बांटेंगे और अभियान की योजना तैयार करेंगे. […]

रांची: राज्य के जिलों में नक्सलियों के खिलाफ चलनेवाले अभियान में अब जैप (झारखंड आम्र्ड पुलिस) व आइआरबी (इंडिया रिजर्व बटालियन) के कमांडेंट भी शामिल होंगे.

नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात जैप व आइआरबी को फोर्स के द्वारा दी जानेवाली सूचनाओं को कमांडेंट संबंधित जिलों के एसपी से बांटेंगे और अभियान की योजना तैयार करेंगे. यह आदेश डीजीपी राजीव कुमार ने बुधवार को दिया. डीजीपी बुधवार को जैप व आइआरबी के एडीजी कमल नयन चौबे, डीआइजी सुमन गुप्ता और जैप व आइआरबी के सभी कमांडेंट के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे.

बैठक में एडीजी कमल नयन चौबे ने डीजीपी से आग्रह किया कि जैप व आइआरबी के कई बटालियन में कमांडेंट का पद रिक्त है, जिसे भरा जाये. डीजीपी ने सभी जवानों में अनुशासन लाने, जवानों के कल्याण के लिए बनी योजनाओं को लागू करने, बटालियन मुख्यालय में कैंटीन खोलने, विभागीय कार्यवाही के मामलों को जल्द निपटाने का निर्देश दिया.

जवानों का होगा तबादला

बैठक में जैप मुख्यालय की ओर से तैयार उस प्रस्ताव पर डीजीपी ने सहमति दी, जिसमें नक्सल प्रभावित इलाकों में लंबे समय से तैनात जैप व आइआरबी के जवानों को गैर नक्सल प्रभावित या कम नक्सल प्रभावित इलाकों में पदस्थापित करने की बात कही गयी है. समीक्षा में यह पाया गया है कि एक ही बटालियन के जवान सात-आठ साल से घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात किये जा रहे हैं. वहीं कुछ जवान लगातार सामान्य क्षेत्र में. इसे दूर किया जायेगा.

पिकेट का नियमित निरीक्षण

बैठक में सभी कमांडेंट से कहा कि राज्य भर के पिकेटों में जैप व आइआरबी के जवान तैनात हैं. पिकेटों का निरीक्षण समय पर नहीं हो रहा है. सभी कमांडेंट को निर्देश दिया गया कि वह साल में एक बार उन सभी पिकेटों का निरीक्षण करेंगे, जहां बटालियन के जवान तैनात होंगे. बटालियन के डिप्टी कमांडेंट साल में दो बार निरीक्षण करेंगे.

पैसे लेने पर कार्रवाई होगी: एडीजी

बैठक में एडीजी जैप कमल नयन चौबे ने सभी कमांडेंट से कहा: यह आम शिकायत है कि छुट्टी लेने या टीए-डीए निकालने के लिए जवानों से पैसे लिये जाते हैं. भविष्य में इस तरह की शिकायत मिली, तो कठोर कार्रवाई की जायेगी.

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