एसपी मनोज सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में रिश्वत मांगने के सबसे अधिक मामले भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के आये. इस विभाग से संबंधित रिश्वत लेने के 30 मामले दर्ज कर उन पर कार्रवाई की गयी. रिश्वत लेने के मामले में पकड़े जाने पर इस विभाग के लोग पहले स्थान पर रहे. दूसरे स्थान पर ग्रामीण विकास के लोग रहे. इस विभाग से संबंधित 26 कर्मी व अफसर को गिरफ्तार किया गया. तीसरे स्थान पर नगर निगम/पंचायती राज विभाग रहा. इस विभाग से जुड़े 10 लोगों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. चौथे स्थान पर रहे नौ पुलिस कर्मियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. वहीं दूसरी ओर रिश्वत लेने के आरोपियों को पकड़ने में हजारीबाग प्रमंडल के लोग सबसे अव्वल रहे. वहां सबसे अधिक 28 मामले दर्ज किये गये़ मनोज सिंह ने बताया कि एसीबी के अधिकारी आरोपियों को सजा दिलाने की दिशा में बेहतर भूमिका निभा रहे हैं. मंगलवार को न्यायालय से पुराने दो केस में आरोपियों को सजा सुनायी गयी है. वर्ष 2015 में जब से एसीबी का गठन हुआ है, तब से एसीबी के अधिकारी बेहतर काम रह रहे हैं. रिश्वत लेने का मामला अगर हमारे अधिकारियों के खिलाफ भी आयेगा, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी.
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बीडीओ को पकड़ एसीबी ने किया 100वां शिकार, 16 वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ा
रांची: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने बुधवार को गढ़वा विशुनपुरा प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर 100वां ट्रैप केस पूर कर लिया. इस मौके पर एसीबी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एसीबी के डीआइजी निरंजन प्रसाद, एसपी सह प्रवक्ता मनोज कुमार सिंह और […]
रांची: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने बुधवार को गढ़वा विशुनपुरा प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार सिन्हा को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर 100वां ट्रैप केस पूर कर लिया. इस मौके पर एसीबी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एसीबी के डीआइजी निरंजन प्रसाद, एसपी सह प्रवक्ता मनोज कुमार सिंह और एसपी असीम विक्रांत मिंज ने बताया कि 100 ट्रैप केस का लक्ष्य दिसंबर के अंत पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन एसीबी ने 13 सितंबर तक ही 100 वां ट्रैप केस पूरा कर पिछले 16 वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इस दौरान 100 ट्रैप केस दर्ज कर 110 आरोपियों को जेल भेजा गया.
एसपी मनोज सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में रिश्वत मांगने के सबसे अधिक मामले भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग के आये. इस विभाग से संबंधित रिश्वत लेने के 30 मामले दर्ज कर उन पर कार्रवाई की गयी. रिश्वत लेने के मामले में पकड़े जाने पर इस विभाग के लोग पहले स्थान पर रहे. दूसरे स्थान पर ग्रामीण विकास के लोग रहे. इस विभाग से संबंधित 26 कर्मी व अफसर को गिरफ्तार किया गया. तीसरे स्थान पर नगर निगम/पंचायती राज विभाग रहा. इस विभाग से जुड़े 10 लोगों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. चौथे स्थान पर रहे नौ पुलिस कर्मियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया. वहीं दूसरी ओर रिश्वत लेने के आरोपियों को पकड़ने में हजारीबाग प्रमंडल के लोग सबसे अव्वल रहे. वहां सबसे अधिक 28 मामले दर्ज किये गये़ मनोज सिंह ने बताया कि एसीबी के अधिकारी आरोपियों को सजा दिलाने की दिशा में बेहतर भूमिका निभा रहे हैं. मंगलवार को न्यायालय से पुराने दो केस में आरोपियों को सजा सुनायी गयी है. वर्ष 2015 में जब से एसीबी का गठन हुआ है, तब से एसीबी के अधिकारी बेहतर काम रह रहे हैं. रिश्वत लेने का मामला अगर हमारे अधिकारियों के खिलाफ भी आयेगा, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी.
रिश्वत मांगनेवाले लोगों को पकड़ने में हजारीबाग प्रमंडल अव्वल
मनोज कुमार सिंह ने बताया कि रांची प्रमंडल में रिश्वत लेने से संबंधित 13 केस, पलामू प्रमंडल में 16 केस, जमशेदपुर प्रमंडल में 15 केस, धनबाद में 20 केस, दुमका में आठ केस और हजारीबाग में 28 केस दर्ज कर मामले में कार्रवाई की गयी. इस तरह रिश्वत मांगने के सबसे अधिक मामले हजारीबाग प्रमंडल से आये और कार्रवाई करने में हजारीबाग प्रमंडल सबसे आगे रही.
बड़ी रकम के साथ पकड़े जानेवाले अधिकारी व कर्मी
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2017 में 13 सितंबर तक सबसे अधिक रिश्वत की रकम के साथ पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तार लोगों में हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के सहायक वन संरक्षक प्रमोद कुमार को 50 हजार रिश्वत लेते पकड़ा गया है. इसके अलावा चाईबासा नीलामी शाखा के पेशकार उत्पल गोपालन को 40 हजार रुपये, नीमडीह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ज्योति स्नेहलता और लिपिक अनिल कुमार मुखी को 40 हजार, रेशम तसर विभाग के लिपिक अशोक कुमार को 30 हजार और सिंहभूम सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के प्रबंधक संतोष साहू सहित तीन लोगों को 25 हजार रुपये रिश्वत की रकम के साथ गिरफ्तार किया गया था.
वर्ष दर्ज केस
2001 23
2002 65
2003 26
2004 12
2005 06
2006 15
2007 15
2008 24
2009 16
2010 43
2011 13
2012 29
2013 26
2014 31
2015 54
2016 88
2017 100
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