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जमशेदपुर में दिशोम बाहा पर्व में उमड़ा संताल आदिवासियों का जनसैलाब, पूजा-अर्चना कर की समृद्धि की कामना

पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर में दिशोम बाहा पर्व में संताल आदिवासियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा. इस दौरान इन्होंने पूजा-अर्चना कर समाज की समृद्धि की कामना की.

जमशेदपुर: दिशोम जाहेरथान करनडीह में रविवार को दिशोम बाहा की धूम रही. संताल आदिवासियों का जनसैलाब जमशेदपुर में पूजा-अर्चना को लेकर उमड़ पड़ा. इस दौरान इन्होंने समाज की उन्नति की कामना की. ओतडिगिर-डिगिर हाले सेरमा बारांग-बारांग, नुकिन दो ओकोय, जाहेर आयोय दिपिल केदआ आतु रेना दुख हारकेत-मरांगबुरूय हाबा: केदआ बैरी लागिद कापि तारवाड़े दो, जाहेर साडिम रे सारजोम बाहा-नायके के राचा मोदोरमुली, जाहेरआयो-मरांगबुरू सेवा देवा रे, सारजोम बाहा हों मातकोम गेले व मरांगबुरू जाहेरआयो तोल सादोम राड़ा कोबिन सरीखे पारंपरिक बाहा गीत से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो गया.

संताल आदिवासियों का उमड़ा जनसैलाब
शहर से सटे करीब 65-70 गांव व कोल्हान के कोने-कोने से संताल आदिवासियों का जनसैलाब इस दिशोम बाहा में इष्टदेवों की पूजा-अर्चना करने पहुंचा. दिशोम बाहा पर्व में करनडीह जाहेरथान में इतनी भीड़ जुटी कि टाटा-हाता मुख्य सड़क को पांच-छह घंटे के लिए बंद करना पड़ा. टाटानगर स्टेशन से हाता की ओर जाने वाले वाहनों को खासमहल मोड़ से परसुडीह-सुंदरनगर रूट पर डाइवर्ट करना पड़ा.

समाज की समृद्धि व उन्नति के लिए हुई प्रार्थना
करनडीह दिशोम जाहेरथान में नायके बाबा दीपक सोरेन की अगुवाई में इष्ट देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गयी. नायके बाबा ने उनके चरणों में नतमस्तक होकर समाज की समृद्धि और उन्नति के लिए प्रार्थना की. उनकी प्रार्थना में मानवता, सहानुभूति और समृद्धि की इच्छा थी, जिससे समाज में उत्थान हो. उन्होंने समाज को सामाजिक न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहायता प्रदान करने के लिए आगे आने को कहा.

श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया सारजोम बाहा
पूजा के बाद जाहेरथान में जुटे श्रद्धालुओं के बीच इष्टदेवों के आशीष स्वरूप सारजोम बाहा (साल वृक्ष के फूल) बांटे गये. नायके बाबा दीपक सोरेन व उनके सहयोगी लक्ष्मण सोरेन, लखीराम सोरेन व सिरजोन सोरेन ने श्रद्धालुओं के बीच सारजोम बाहा वितरित किया. जाहेरथान में सारजोम को लेने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लग गयी थी. महिलाओं ने सारजोम बाहा को अपने जुड़े में सजाया. वहीं पुरुषों ने अपने कानों में सजाया.

शोभायात्रा में दिखी सामाजिक व सांस्कृतिक एकता
सूर्यास्त होने से पूर्व दिसुआ ग्रामीणों ने नायके बाबा को विभिन्न गांवों से आये नृत्य दलों के हुजूम ने पारंपरिक नृत्य करते हुए जाहेरथान से उनके आवास तक पहुंचाया. मांदर व नगाड़े की थाप पर एक लय व एक ताल पर हजारों की संख्या में लोग थिरक रहे थे. यह नजारा बिल्कुल अलग व मनमोहक था. इस दौरान करनडीह मुख्य मार्ग पर भीड़ देखने लायक थी. दिशोम बाहा में जनसैलाब उमड़ पड़ा था. चारों और पारंपरिक परिधानों की हरियाली दिख रही थी. सभी महिला, पुरुष, युवा, यहां तक बच्चे भी पारंपरिक वेशभूषा में थे. यह बाहा शोभायात्रा सामाजिक व सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित कर रही थी.

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