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पीएम मोदी ने एक झटके में आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया, यह उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रमाण

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि उत्तरपूर्व के 75 जिलों से AFSPA हटाई गई है. पहले मानवधिकार के नाम पर AFSPA हटाने की लोग बात करते थे. लेकिन मानवाधिकार तो उनका भी है जो आतंकवाद की भेंट चढ़ते हैं.

नयी दिल्ली: पीएम मोदी ने 5 अगस्त, 2019 को एक झटके में आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया और जो लोग ये कहते थे कि खून की नदियां बहेगी, वे एक पत्थर भी नहीं फेंकं पाये. बात राजनीतिक इच्छाशक्ति की है और पीएम मोदी में वो इच्छाशक्ति है. उत्तरपूर्व के 75 जिलों से AFSPA हटाई गई है, पहले मानवधिकार के नाम पर AFSPA हटाने की लोग बात करते थे. लेकिन मानवधिकार तो उनका भी है जो आतंकवाद की भेंट चढ़ते हैं. उक्त बातें गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में आयोजित ‘भारत स्वराज से नये भारत तक’ अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में कही.

स्वराज को राज तक सीमित किया गया

अमित शाह ने कहा, लोगों ने स्वराज को राज तक सीमित कर दिया जबकि ध्यान स्व पर देना चाहिए था. उन्होंने कहा चंद्रशेखर आजाद भी दिल्ली विश्वविद्यालय में रहे हैं. मैं मानता हूं कि दिल्ली विश्वविद्यालय आने वाले वर्षों में भी अपनी पहचान बनाये रखेगा. इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे.

संबोधन के दौरान धारा 370 का जिक्र

अमित शाह (amit shah) ने कहा कि उत्तरपूर्व के 75 जिलों से AFSPA हटाई गई है. पहले मानवाधिकार के नाम पर AFSPA हटाने की लोग बात करते थे. लेकिन मानवाधिकार तो उनका भी है जो आतंकवाद की भेंट चढ़ते हैं. वहीं, धारा 370 का जिक्र करते हुए उन्होंने कि पीएम मोदी ने 5 अगस्त, 2019 को एक़ झटके से आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया और खून की नदियां बहेगी कहने वालों में पत्थर फेंकने की हिम्मत नहीं हुई.


भारत में 190 करोड़ कोरोनारोधी टीका लगा

कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने मोदी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा, भारत में 190 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुका है, जिसे देख दुनिया हैरान है. साथ ही, नरेंद्र मोदी के पीएम बनने से पहले देश की कोई रक्षा नीति नहीं थी. पूर्व की सरकार में विदेश नीति को ही रक्षा नीति माना जाता था. लेकिन 2014 से अबतक देखें तो भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर दुनिया को अपनी रक्षा नीति का परिचय दिया कि जो हमारी सीमा का अपमान करेगा, उसे उसी की भाषा में जवाब देंगे.

19 मई से 21 मई तक अंतराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

दिल्ली विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के वक्ताओं द्वारा विचार रखे जायेंगे. इन वक्ताओं में यूजीसी से राष्ट्रीय प्रोफेसर अशोक मोदक, आईसीएसएसआर के अध्यक्ष प्रो कनागासाबापथी, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव प्रो सच्चिदानंद जोशी, यूजीसी सदस्य और पूर्व कुलपति प्रो सुषमा यादव, जेएनयू कुलपति प्रो शांतिश्री पंडित, पोट्र्समाउथ विश्वविद्यालय यूएसए के इतिहास विभाग से प्रो लावण्या वेमसानी, राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी, इतिहासकार और एनएमएमएल सीनियर फेलो प्रो माखन लाल, डीयू के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो संगीत कुमार रागी समेत 100 से अधिक लोग अपने विचार रखेंगे.

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