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प्रथम राष्ट्रपति ने किया था शिलान्यास

पहल. कला मंत्री से अहिंसा महामंदिर बनाने के लिए जमीन की मांग हाजीपुर : देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने आज से 60 वर्ष पहले वैशाली के कुंडग्राम में भगवान महावीर स्मारक व प्राकृत जैन अहिंसा शोध संस्थान का शिलान्यास किया था. ललन जी जैन छपरा के अथक प्रयासों से यह संभव हो […]

पहल. कला मंत्री से अहिंसा महामंदिर बनाने के लिए जमीन की मांग

हाजीपुर : देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने आज से 60 वर्ष पहले वैशाली के कुंडग्राम में भगवान महावीर स्मारक व प्राकृत जैन अहिंसा शोध संस्थान का शिलान्यास किया था. ललन जी जैन छपरा के अथक प्रयासों से यह संभव हो सका था. स्थानीय लोगों ने शोध संस्थान के लिए अपनी बेशकीमती जमीन दी थी. स्थानीय लोगों को यह उम्मीद थी कि आने वाले समय में उनके बच्चों को उक्त संस्थान से काफी लाभ मिलेगा.यह कहना है यूनिवर्सल भगवान महावीर अहिंसा महातीर्थ वैशाली के महामंत्री आनंद वर्द्धन जैन का. संस्थान को अपनी जमीन देने वालों का यह भी सपना था कि उक्त शोध संस्थान समूचे विश्व में आकर्षण का केंद्र बनेगा.
अगले वर्ष श्रीमज्जिनेन्द्र पंच कल्याणक महामहोत्सव का होगा आयोजन : आगामी वर्ष 2018 में वैशाली में श्रीमज्जिनेंद्र पंच कल्याणक महा महोत्सव का आयोजन होगा.इस अवसर पर पूर्वजों को सम्मान उपकार का एहसान नाम से एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. एक भव्य स्मारिका भी प्रकाशित होगी, जिसमें पूर्वजों के जीवनवृत का जिक्र होगा.
यह जानकारी श्री जैन के हवाले से दी गयी.उन्होंने बताया कि अब तो जैन धर्म का श्वेताम्बर समुदाय भी कुंडपुर को भगवान महावीर का जन्म स्थान एक मत से मानता है.श्वेताम्बर शाधुवर्ग भी यहां अब प्रार्थना के लिए समय-समय पर आते रहते हैं.उन्होंने बताया कि वर्ष 1945 से ही तीन दिवसीय वैशाली महोत्सव का आयोजन प्रत्येक वर्ष होता आ रहा है.उन्होंने महोत्सव की गरिमा को बरकरार रखने की आयोजकों से अपील की है.
महामंदिर बनाने के लिए जमीन की मांग : अहिंसा महातीर्थ वैशाली की ओर से राज्य के कला,संस्कृति एवं युवा मामलों के मंत्री शिवचंद्र राम से भगवान महावीर अहिंसा महामंदिर बनाने को लेकर जमीन उपलब्ध कराने की मांग की गयी है.अभिषेक पुष्करिणी एवं बाबन पोखर में जमीन उपलब्ध कराने की मांग की गयी है.
भगवान महावीर स्मारक व प्राकृत जैन अहिंसा शोध संस्थान के लिए स्थानीय लोगों ने दी थी अपनी बेशकीमती जमीन
वर्ष 1945 तक भगवान महावीर के जन्मस्थान को लेकर था असमंजस
आनंद वर्द्धन जैन का कहना है कि वर्ष 1945 तक भगवान महावीर के जन्म स्थान को लेकर लोग असमंजस में थे.1945 तक मध्यप्रदेश स्थित कुंडलपुर, बिहार के लिछवार सहित अन्य स्थानों को कई लोग उनका जन्म स्थान मानते आ रहे थे. श्री जैन के अनुसार वर्ष 1945 दिव्य वर्ष बना,जब संपूर्ण विश्व की यह दुविधा दूर हुई कि महावीर का जन्म वैशाली के कुंडग्राम में ही हुआ था.
जन्म स्थान की पुष्टि होने के बाद स्थानीय लोगों ने उक्त जमीन पर हल चलाने से परहेज किया.भगवान महावीर के जन्मदिन और निर्वाण दिवस पर वहां के लोग नियमित रूप से दीया जलाते आ रहे हैं. श्री जैन ने बताया कि स्मारक निर्माण को लेकर राजेंद्र बाबू के वहां आने के बाद लोगों ने अपनी जमीन राज्य सरकार को दी. संस्थान को विकसित करने में ललनजी जैन के अलावा जगदीशचंद्र माथुर, जगन्नाथ प्रसाद साहु, योगेंद्र मिश्र,उपेंद्र महारथी सहित अन्य का भी सराहनीय योगदान रहा.

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