15.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

तरबूज की लाली ला रही घर में खुशहाली

।। देवेंद्र गुप्त ।। हाजीपुर : मेहनत का फल मीठा होता है. इसे साबित कर दिखाया है वैशाली जिले के तरबूज उत्पादक किसानों ने. इस गरमी के मौसम में लाल-लाल मीठे तरबूज लाखों लोगों के गले ही तर नहीं कर रहे बल्कि किसानों की किस्मत भी बदल रहे हैं. जिले के सैकड़ों किसान परिवार साल […]

।। देवेंद्र गुप्त ।।
हाजीपुर : मेहनत का फल मीठा होता है. इसे साबित कर दिखाया है वैशाली जिले के तरबूज उत्पादक किसानों ने. इस गरमी के मौसम में लाल-लाल मीठे तरबूज लाखों लोगों के गले ही तर नहीं कर रहे बल्कि किसानों की किस्मत भी बदल रहे हैं.

जिले के सैकड़ों किसान परिवार साल भर से संजोए अपने छोटे-मोटे सपने को भी पूरा कर पाते हैं. जब इस मौसम में तरबूजों की लाली उनके घर खुशहाली लेकर आती है. पांच से छह महीने के कठिन परिश्रम के बाद जब बालू के पेट से मीठे फल निकलते हैं, तो किसान संतोष से भर जाते हैं.

बालू को वरदान बना कर जिले के परिश्रमी किसानों को न केवल खुद की तकदीर सवारी है बल्कि खेती -किसानी को एक नया आयाम दिया है. हाजीपुर से रेवा तक गंडक नदी के किनारे बालू की रेत पर हजारों एकड में तरबूज की खेती हो रही है. जिले के इसमाइलपुर, हरौली, चांदी धनुषी, घटारों आदि दर्जनों गांवों के किसान परिवार इस खेती से जुड़े हुए हैं.

* यूपी के किसानों से सीखा हुनर
लगभग ढाई दशक पहले उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के किसानों ने यहां आकर गंडक की रेत पर तरबूज की खेती शुरू की थी. वे अपने पूरे परिवार के साथ आकर महीनों डेरा डालते थे और फसल समाप्त हो जाने के बाद वापस लौट जाते थे. तब यहां के किसान इस खेती को कौतुहल से देखते थे.

वे सिर्फ हुनर लेकर आये और यहां के श्रम और साधन के सहारे गंडक की उजली रेल को हरी लत्तियों से पाट दिया. कुछ वर्षो बाद उन किसानों ने आना बंद कर दिया. इस बीच जिले के किसान उनकी सोहबत में यह हुनर सीख चुके थे. इन किसानों ने खुद ही यह खेती शुरू कर दी. आरंभ में कम ही किसानों ने इसमें दिलचस्पी ली, लेकिन बाद में तरबूज उत्पादन से किसानों की बदलती माली हालत ने बड़ी संख्या में किसानों को इस ओर आकर्षित किया.

* ऐसे होती है तरबूज की खेती
जाड़े के दिनों में यानी नवंबर-दिसंबर के मध्य में पौधों की रोपनी शुरू हो जाती है. सबसे पहले रेत पर एक फुट के आकार के ढाई तीन फुट गहरे गड्ढे खोदे जाते हैं. इन गड्ढों में अल्प मात्र में रासायनिक खाद और जैविक खाद डाल कर गड्ढों को सतह तक भर दिया जाता है.

फिर एक सप्ताह बाद उस पर बीजों के अंकुर रोप दिये जाते हैं. पौधे रोपने के एक से डेढ़ महीने बाद पानी की सतह तक गोलाकार गड्ढे खोद कर जैविक खाद से ऊपरी सतह तक भर दिया जाता है. उसके बाद समय-समय पर कीटनाशक और पानी का छिड़काव करते रहना पड़ता है. पौधे लगाने के बाद फू स की जाली बना कर उन्हें घेर दिया जाता है.

जिससे ठंड के प्रकोप से पौधे सुरक्षित रहें और पौधों को फैलने के लिए बालू पर जंगल बिछाये जाते हैं. पांच से छह महीने के बाद ये पौधे फल देने लगते हैं. प्रत्येक गड्ढे से 15 से 20 फल निकलते हैं. जो न्यूनतम पांच किलो से लेकर 20 किलो तक के होते हैं. प्रत्येक तरबूज की कीमत किसानों को 30 से 40 रुपये तक मिलती है. बाजार में जाते-जाते इसकी कीमत दोगनी से तिगुनी हो जाती है. अप्रैल के मध्य से जून के मध्य तक इसका पिक सीजन होता है.

* हरौली से होती है सप्लाइ
सदर प्रखंड का छोटा-सा बाजार हरौली तरबूज की सबसे बड़ी मंडी है. क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों से तरबूज की खेप इसी मंडी में पहुंचती है. यहां से इसकी सप्लाइ दूर-दूर तक होती है. दो से ढाई सौ गाड़ियां यहां से प्रत्येक दिन खुलती हैं. हरौली मंडी से ये तरबूज बिहार के अनेक हिस्सों में तो जाते ही हैं, टाटा, धनबाद, सिलिगुड़ी, जलपाईगुड़ी की मंडियों तक इनका कब्जा है. नेपाल में भी इसकी सप्लाइ होती है. इस तरह वैशाली के किसानों की मेहनत से उगाये तरबूज देश -प्रदेश की मंडियों में मिठास घोल रहे हैं.

* परेशानी भी कम नहीं
तरबूज की फसल को सींचने में किसान अपना सब कुछ दावं पर लगा देते हैं. वे कर्ज के बोझ से दब जाते हैं.उनके जीवन में अंधेरा छा जाता है जब एक आंधी उनकी फसल को तहस-नहस कर देती है. कई साल ऐसा भी हुआ है जब आंधी-तूफान ओर ओले पड़ने व नदी में अचानक पानी बढ़ जाने से उनकी फसल बरबाद हो गयी. कभी-कभी कीड़ों का प्रकोप भी फसल को नुकसान पहुंचाता है.

कई किसान तो कर्ज के बोझ से आत्महत्या कर चुके हैं. युवा किसान महेश सिंह का कहना है कि सरकार को चाहिए कि तरबूज उत्पादकों की फसल का बीमा करे, खेती के लिए सरकारी कर्ज दे और अनुदानित दर पर कीटनाशक और रासायनिक खाद भी उपलब्ध कराये.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel