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15 साल पहले मारे गये थे चार अपराधी

हाजीपुर : महनार के हसनपुर दक्षिणी पंचायत के बहलोलपुर दियारा क्षेत्र में शनिवार को पटना एसटीएफ और वैशाली पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में सोना लूट कांड के अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना मनीष सिंह सहित तीन अपराधियों की मौत इस इलाके की कोई पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी वर्ष 2002-2003 में वैशाली के तत्कालिन […]

हाजीपुर : महनार के हसनपुर दक्षिणी पंचायत के बहलोलपुर दियारा क्षेत्र में शनिवार को पटना एसटीएफ और वैशाली पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में सोना लूट कांड के अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना मनीष सिंह सहित तीन अपराधियों की मौत इस इलाके की कोई पहली घटना नहीं है.
इसके पहले भी वर्ष 2002-2003 में वैशाली के तत्कालिन एसपी एच एन देवा के नेतृत्व में महनार पुलिस और अपराधियों के बीच खासपट्टी दियारा में एनकाउंटर हुआ था.
इसमें राजधानी सहित वैशाली, समस्तीपुर का आतंक राजेश्वर गोप, उसके गैंग के शिवजी राय समेत चार अपराधियों पुलिस ने मार गिराया था. उस दौरान अपराधियों के पास से पुलिस की लूटी हुई राइफल और दो बाइक बरामद हुयी थी.
उस घटना के बाद दियारा क्षेत्र में कुछ दिनों तक माहौल शांत हो गया था. लेकिन बाद में फिर से अपराधियों के आने-जाने से आसपास के दियारा के लोग दहशत में रह रहे थे.
पटना एसटीएफ के एनकाउंटर और क्षेत्र में अपराधियों के ठिकाने होने से दियारा क्षेत्र के किसान अब भयभीत है. भौगोलिक दृष्टिकोण से दो तरफ से नदी से घिरा बहलोलपुर, पलवैया, हसनपुर , बलवा, पतलापुर, खासपट्टी , सुलहुलपुर समेत दर्जनों दियारा के गांवों के किसानों के दहशत कायम हो गया है. इन दियारा क्षेत्रों में रवि व खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसान इस हादसे के बाद खासे सहमे हुए हैं.
दियारा क्षेत्र के कई किसानों ने दबी जवान में इस बात को स्वीकार करते हैं कि जिले के राघोपुर, महनार और बिदुपुर थाना क्षेत्र का यह इलाका अपराधियों के लिए सेफ जोन बना हुआ था. बीते तीन दशकों से इस इलाके में एक के बाद एक गैंग के अपराधियों ने अपना ठिकाना बनाया और इस दौरान वर्चस्व की लड़ाई में खूनी खेल होता रहा.
किसानों का कहना है कि अपराधियों ने व्यवसायियों का अपहरण कर दियारा क्षेत्र में बंधक बना कर रखता था. महनार के खाद व्यवसायी रामचंद्र चौधरी, जज, चिकित्सक और व्यवसायियों के बच्चे को दियारा क्षेत्र में रखा जाता था और उनके परिजनों से मोटी रकम लेकर यहां से छोड़ा दिया जाता था.
दियारा क्षेत्र में खेती करने वाले किसानों की माने तो नदी पर पीपा पुल बन जाने के बाद दूसरे राज्यों के अपराधियों ने भी दियारा इलाके में अपना ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है. स्थानीय अपराधी उनके रहने और खान-पान के लिए उनसे मोटी रकम वसूल किया करते है.
1985 से 95 तक राजगीर राय गिरोह था सक्रिय
तीन दशक पहले 1985 – 95 के दौरान दियारा क्षेत्र में राजगीर राय गिरोह का दियारा इलाके में दबदबा कायम था. गिरोह के सरगना राजगीर राय की दियारा इलाके में तूती बोलती थी.
वह सुलहुलपुर, पलवईया, पतलापुर , खासपट्टी दियारा से गिरोह का संचालन करता था. उस दौड़ में राजगीर राय अपने सहयोगी नागेश्वर राय के साथ मिल कर गिरोह का संचालन करता था. दोनों मूलत: महनार थाने के देशराजपुर गांव का रहने वाले थे.
हालांकि पटना राजधानी में एक व्यवसायी के अपहरण में मिली फिरौती और एक लूटकांड की राशि को लेकर दोनों के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया कि राजगीर राय और नागेश्वर राय के तनाव कायम हो गया. दोनों एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी हो गये.
दोनों के बीच वर्चस्व और गैंगवार शुरू हो गया.1990 -95 के बीच राजगीर राय गिरोह और नागेश्वर राय गिरोह मे जबर्दस्त गैंगवार चला था. दोनों के बर्चस्व की लड़ाई में दर्जनों अपराधी आपसी गैंगवार में मारे गये थे.
अपने एक शूटर की हत्या की रंजिश में राजगीर राय ने नागेश्वर राय के दो भाईयों को मार गिराया था. इस घटना के बाद नागेश्वर राय ने भी राजगीर राय के भाई को गैंगवार में मार गिराया था. शातिर राजगीर राय एक रणनीति के तहत अपने गिरोह के दो सदस्यों को निकाल दिया.
क्षेत्र में अफवाह फैला दी कि दोनों को गिरोह से निकाल दिया गया. इसके बाद दोनों नागेश्वर राय गिरोह में शामिल हो गया था. पूर्व की रणनीति और साजिश के तहत एक पार्टी का आयोजन कर नागेश्वर राय को शराब में नशीला पदार्थ मिला कर वेहोश कर दिया था.जिसकी जानकारी मिलते ही महनार थाने की पुलिस मौके पर पहुंची थी और पुलिस मुठभेड़ में नागेश्वर राय मारा गया था.

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