हाजीपुर : केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दूसरा गांव तो गोद ले लिया है मगर पहले गांव वैशाली के भगवानपुर प्रखंड के अकबर मलाही की स्थिति ढाई साल बाद भी किसी कुपोषित बच्चे जैसी है. जर्जर सड़कें, कीचड़ और गंदगी, बंद पड़ा अस्पताल, शराबबंदी के बावजूद ताड़ी बेचने का […]
हाजीपुर : केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दूसरा गांव तो गोद ले लिया है मगर पहले गांव वैशाली के भगवानपुर प्रखंड के अकबर मलाही की स्थिति ढाई साल बाद भी किसी कुपोषित बच्चे जैसी है. जर्जर सड़कें, कीचड़ और गंदगी, बंद पड़ा अस्पताल, शराबबंदी के बावजूद ताड़ी बेचने का खुला कारोबार, आजीविका के लिए तरसते लोग यही आदर्श ग्राम अकबर मलाही की पहचान है. कहते हैं,
इस पंचायत से उन्हें लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक मत प्राप्त हुए थे और यहां उनकी जाति पासवान की आबादी सर्वाधिक है, इसलिए उन्होंने इस गांव को गोद लिया था. मगर उस वक्त एक साल के अंदर जिन-जिन योजनाओं को धरातल पर लाने के वादे उन्होंने किये थे, उनमें से एक तिहाई भी साकार नहीं हो पाये हैं.
सांसद आदर्श ग्राम योजना का मामला
आदर्श गांव की हकीकत की पोल एनएच पर लगा इसका बोर्ड ही खोल देता है. ऐन बोर्ड के सामने की सड़क खस्ताहाल नजर आती है. आगे बढ़ने पर एक अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नजर आता है, जिसमें ताला बंद दिखता है. लोग बताते हैं कि एक माह से इस अस्पताल की यही हालत है. यहां दो चिकित्सकों की नियुक्ति थी, दोनों पति-पत्नी थे. एक माह पहले पत्नी की मृत्यु हो गयी, पति भी उसके बाद नहीं आये. अब न नर्स आती है और न ही कोई अन्य स्वास्थ्य कर्मी.