पटना. बिहार में पहली बार हुए मधुमेह मरीजों के सर्वे में चौकाने वाले आंकड़े मिले हैं. गांव से अधिक शहर के लोग इससे पीड़ित हैं. राज्य की 14.2 फीसदी आबादी इसकी चपेट में है. पटना सहित पूरे बिहार में करीब 60 लाख लोग डायबिटीज के मरीज हैं. किडनी फेल का सबसे बड़ा कारण डायबिटीज है. हालांकि इन दिनों कई ऐसी दवाएं व इंजेक्शन आ गये हैं जिसके इस्तेमाल से बीमारी की बढ़ती गति को कम किया जा सकता है. साथ ही डायलिसिस व ट्रांसप्लांट को भी आगे बढ़ाया जा सकता है. हालांकि अगर शुगर लेवल 110 से 125 है तो अलर्ट हो जाना चाहिए. यह कहना है आइजीआइएमएस किडनी रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ हरिओम कुमार का. पिछले दिनों पटना के आर ब्लॉक स्थित एक होटल में 11वां एनुअल कॉन्फ्रेंस ऑफ बिहार डायबेटिक फेडरेशन के राज्यस्तरीय कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन डॉ प्रो. डीके श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार आनेवाले दिनों में इस बीमारी का सबसे बड़ा केंद्र बननेवाला है. यहां के लोगों में जिस प्रकार से इस बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है वो चिंताजनक है.
घर में घी व तेल की खपत को करें आधा तो डायबिटीज से बनेगी दूरी
फेडरेशन के सचिव डॉ इ हक ने बताया कि पिज्जा-बर्गर जैसे फास्ट फूड ही नहीं, मिर्ची बड़ा, छोला-भटूरा और कचौरी भी मोटापा और डायबिटीज के लिए जिम्मेदार हैं. केवल अधिक मीठा खाने से ही डायबिटीज नहीं होती, बल्कि तली-भुनी चीजें भी डायबिटीज को बढ़ावा देती हैं. उन्होंने कहा कि तले-भूने खाद्य पदार्थों में फैट की मात्रा कई गुना होती है. इससे शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है. ऐसे में जरूरी है कि हम घर पर तेल व घी की खपत घटाकर आधा कर दें. रोज सुबह-शाम आधा-आधा घंटा जरूर टहलें. लाइफ स्टाइल बदलेगी तो शुगर लेवल भी नियंत्रित रहेगा.
मुख्य वजह है अनियमित दिनचर्या
शुगर रोग विशेषज्ञ डॉ सुभाष कुमार ने कहा कि हमारे देश की पुरुषों की औसत उम्र 65 व महिलाओं में 70 वर्ष हैं, लेकिन डायबिटीज के साथ जीने वाले व्यक्ति की औसत उम्र 60 व 65 साल ही है. साथ में उसे कई दूसरी बीमारियां व कॉम्पलिकेशन हो जाते हैं. इसकी मुख्य वजह खानपान में अधिक कार्बोहाइड्रेट (गेहूं, चावल, आलू व चीनी) एवं अधिक चिकनाई (घी, तेल, रिफाइंड, मक्खन) का प्रयोग, मोटापा एवं व्यायाम न करना हैं. ऐसे में जरूरी है कि जिस परिवार में किसी को डायबिटीज हो उन्हें नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए, जिससे डायबिटीज जल्दी पकड़ में आ सके. कॉन्फ्रेंस के दौरान किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ शशि कुमार, डॉ अजय कुमार सिन्हा, डॉ एचके सिन्हा आदि 500 से अधिक डॉक्टरों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये.
शुगर यानी मधुमेह के मामले क्यों बढ़ रहे?
डायबिटिज, मधुमेह यानी शुगर दुनिया में मौत का आठवां सबसे बड़ा कारण है. यह अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण है. मधुमेह का शिकंजा राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में तेजी से कस रहा है. राष्ट्रीय औसत के अनुसार भले ही प्रदेश की करीब 20 प्रतिशत शहरी और करीब आठ प्रतिशत ग्रामीण आबादी को मधुमेह की चपेट में माना जाए, लेकिन आंकड़े इससे बहुत ज्यादा हैं. यहां हम आपको मधुमेह की भयवाहता, खतरे, बचाव के साथ फ्री में इलाज के बारे में भी जानकारी देंगे.
महिलाओं की अपेक्षा पुरुष अधिक शिकार
2019-20 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों के अनुसार, पटना जिले की 17.1 प्रतिशत महिला और 19.9 प्रतिशत पुरुष या तो शुगर की दवा ले रहे हैं या फिर शुगर स्तर का स्तर 140 से अधिक है. इसके अनुसार जिले के 37 प्रतिशत लोग मधुमेह के खतरे में हैं.
जागरूकता के बिना रोकथाम असंभव
डॉक्टरों के अनुसार आज भी अधिकतर लोगों को किसी दूसरे रोग के इलाज या सर्जरी के दौरान डायबिटिक होने की जानकारी होती है. डायबिटीज को बिना उपचार के छोड़ने पर अल्सर, किडनी व हृदय रोगों का खतरा 60 प्रतिशत तक अधिक, नेत्र में रेटिनोपैथी, कान, न्यूरोपैथी, अल्जाइमर्स जैसे तमाम रोग शिकंजा कस देते हैं.
साल में एक बार जरूर कराएं जांच
डॉक्टरों की मानें तो पहले 40 वर्ष के बाद मधुमेह की आशंका होती थी. आज बहुत से बच्चे इसके साथ जन्म ले रहे हैं. 14 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आ रहे हैं. इसका कारण मोटापा व आरामतलब जीवनशैली के अलावा पिज्जा, बर्गर, चिप्स, कोल्ड ड्रिंक्स, रिफाइंड खाद्य सामग्री, खाने में फाइबर की कमी आदि प्रमुख हैं.
ये चीजें खाने से घटेगा मधुमेह का खतरा
नियमित व्यायाम या शारीरिक श्रम करके और प्रासेस्ड व जंक फूड से परहेज कर काफी हद तक इससे बचा जा सकता है. गेहूं के साथ चने, ज्वार, जौ, जई और दालों व अंकुरित अनाजों, लौकी, नेनुआ-तरोई, टिंडा, पालक, परवल, खीरा, ककड़ी, करेले, फल में अमरूद, जामुन, पपीते आदि का सेवन बढ़ाने से भी इसकी रोकथाम में मदद मिलती है.
गांव वाले शहर का अनुकरण कर ला रहे बीमारी
एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार शहर पश्चिमी देशों, तो गांव, शहरों की जीवनशैली का अनुकरण कर रहे हैं. यही कारण है कि प्रदेश में शहरी क्षेत्र की 16.3 प्रतिशत महिलाएं और 20.3 प्रतिशत पुरुष या तो दवा खा रहे हैं या उनका शुगर स्तर 140 से अधिक है. इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र में 12 प्रतिशत महिलाओं व 15.4 प्रतिशत पुरुष इसी श्रेणी में हैं.
बिहार के सभी जिलों में मिलेगी सुविधा
राज्य के सभी जिला अस्पतालों, अनुमंडलीय व रेफरल अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सह हेल्थ सह वेलनेस सेंटर, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों व जीविका के कलस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) पर जांच सह चिकित्सकीय परामर्श सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है. इसके लिए आवश्यक जांच किट, मशीन व दवाएं उपलब्ध करा दी गई हैं.