Bihar Vidhan Sabha: राष्ट्रीय जनता दल के नेता और महुआ विधानसभा सीट से विधायक तेजस्वी यादव 18वीं बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे. उनको नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला शनिवार को 1 पोलो रोड स्थित उनके घर पर मबागठबंधन के विधायकों की बैठक में हुई. इस बैठक में राजद, कांग्रेस और वाम दलों के विधायक शामिल हुए और उन्होंने एक स्वर में तेजस्वी के नाम का समर्थन किया. बता दें कि इससे पहले भी 17वीं विधानसभा में भी वह ही नेता प्रतिपक्ष थे.
बैठक के लिए दिल्ली से पटना लौटे विधायक
महागठबंधन की बैठक में शामिल होने के लिए तेजस्वी यादव शनिवार को दिल्ली से पटना आए. यहां एयरपोर्ट पर पत्रकारों ने जब उनसे सवाल किया तो उन्होंने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया और सीधे बैठक के लिए रवाना हो गए.
कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है पद
नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है, जिससे उन्हें सरकारी बैठकों में शामिल होने और महत्वपूर्ण निर्णयों में भाग लेने का अधिकार होता है.नेता प्रतिपक्ष को विभिन्न सरकार के समितियों में प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलता है, जहां वे सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की समीक्षा करते हैं और अपनी राय देते हैं. इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष विपक्ष की आवाज होते हैं और सरकार के खिलाफ विपक्ष की रणनीति तैयार करते हैं. नेता प्रतिपक्ष को वह सारी सुविधाएं मिलती है जो किसी भी कैबिनेट मंत्री को मिलती है.
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35 सीटें पर सिमट गया है महागठबंधन
इस बार के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन 35 सीटों पर सिमट गया. इनमें 25 विधायक राजद के तो 6 विधायक कांग्रेस के और वाम दलों के तीन और एक आई आई पी के हैं. बता दें कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए किसी भी पार्टी के पास विधायकों की कुल संख्या के 10 प्रतिशत विधायक होने चाहिए. वही, बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और राजद को 25 सीटें मिली हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव का नेता प्रतिपक्ष बनना पहले से ही तय था.
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