– कर्णपुर कालीधाम में सहस्त्र चंडी महायज्ञ का षष्ठम् दिवस श्रद्धा और भक्ति के रंग में रंगा सुपौल. बाबा पीठ कर्णपुर कालीधाम में आयोजित सहस्त्र चंडी महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के षष्ठम् दिवस पर श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता की अनुपम छटा देखने को मिली. पूरा कर्णपुर ग्राम इस समय एक दिव्य तीर्थ में परिवर्तित हो गया है, जहां चारों ओर मां भगवती का जयकार और मंत्रोच्चारण गूंज रहा है. इस पावन अवसर पर मुख्य यजमान राहुल आनन्द एवं मेधा देवी ने विधिवत पूजन कर यज्ञ में अपनी गहन आस्था का परिचय दिया. यज्ञ मंडप में अग्नि की ज्वाला, मंत्रों की ध्वनि और भक्तों की तन्मयता ने संपूर्ण वातावरण को भक्तिमय बना दिया. गुरुदेव का दिव्य प्रवचन, यज्ञ का प्रभाव और महत्ता यज्ञ मंच से गुरुदेव शिवाचार्य पंडित जीवेश्वर मिश्र ने सहस्त्र चंडी महायज्ञ के महत्व पर गूढ़ व्याख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह यज्ञ न केवल आत्मिक शुद्धि का माध्यम है, बल्कि सामाजिक कल्याण, शांति और समृद्धि का स्रोत भी है. उन्होंने बाबा पीठ कालीधाम को परमगुरु श्री निश्चलानंद नाथ जी की तपोस्थली बताते हुए उनकी आध्यात्मिक विरासत और सामाजिक योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित की. 51 विद्वान आचार्यों के नेतृत्व में पंडित चंदन झा, पंडित कौशल झा, पंडित रमाकांत झा समेत अनेक विद्वानों ने दुर्गा सप्तशती का मंत्रोच्चारण किया. मंत्रों की गूंज से यज्ञ स्थल देवीमय ऊर्जा से भर उठा. भक्तों ने बताया कि उन्हें ऐसा अनुभव हुआ मानो वे किसी दिव्य लोक में उपस्थित हों. मौके पर सुबोध पाठक, भवेश सिंह, कपिल कश्यप, चंद्रकांत झा, भगवान जी पाठक, बीरेंद्र चौधरी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. आचार्य शुकदेवानंद व्यास ने की देवी प्राकट्य की कथा षष्ठम् दिवस की कथा में आचार्य शुकदेवानंद व्यास ने मां दुर्गा के प्राकट्य की प्रेरक कथा सुनाई. उन्होंने बताया कि देवी केवल शक्ति नहीं, बल्कि करुणा, धैर्य और धर्म की स्थापना की प्रतीक हैं. उन्होंने भक्तों को यह भी स्मरण कराया कि जब जब अधर्म बढ़ेगा, देवी अवतार लेंगी यह शाश्वत सत्य है.
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