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दिल में भगवान का होता है वास तो, शत्रुओं का होता है नाश : स्वामी गुरूनंदन

ख्य कथा वाचक स्वामी गुरूनंदन जी महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जब जन्म लिया तो उन्होंने अपनी कथा खुद से सुनाई

– सत्संग में भगवान श्रीकृष्ण की सुनायी गयी जन्मलीला, मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु छातापुर. मुख्यालय स्थित संतमत योगाश्रम के समीप आयोजित सात दिवसीय सत्संग (माध्यम श्रीमद्भागवत महापुराण कथा) के चौथे दिन मंगलवार को भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई गई. अपराह्न कालिन सत्र में कथा श्रवण करने खासकर महिला श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंची थी. जहां नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैयालाल की जैसे कई भजन से श्रोता मंत्रमुग्ध हो रहे थे. मुख्य कथा वाचक स्वामी गुरूनंदन जी महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जब जन्म लिया तो उन्होंने अपनी कथा खुद से सुनाई. कारागार में जन्मे श्री कृष्ण ने माता देवकी व पिता वासुदेव को नंद बाबा के घर उन्हें पहुंचाने का रास्ता सुझाया. नंद बाबा के घर उन्हें छोड़कर यशोदा मैया से जन्मी कन्या को कारागार में ले आने को कहा. कारागार में रोने की आवाज सुनकर कंस को आठवें पुत्र के जन्म लेने का आभास हुआ. फिर कंस जैसे ही वध करने कारागार पहुंचा तो देखा कि यह तो कन्या है. भयभीत कंस ने कन्या के दोनों पैर पकड़े तो जैसे उसे पत्थर पर पटकने की कोशिश की तो कन्या उसके हाथ से छूटकर गगन गामिनी हो गई. फिर आकाशवाणी हुई कि कंस तुम्हारा वध करने के लिए आठवें पुत्र का जन्म हो चुका है. गगन गामिनी वह कन्या देवी दुर्गा थी और उसी कालखंड से दुर्गा पूजा मनाया जाने लगा. अर्थात देवी दुर्गा यशोदा और नंदबाबा की पुत्री है. उधर इन सभी घटना क्रम से अनजान यशोदा मैया और नंदबाबा के घर लल्ला के जन्म का उत्सव मनाया जाने लगा. स्वामी जी ने कथा का तात्पर्य बताते कहा कि भगवान ने जन्म लेते ही अपनी कथा खुद सुनाई. इसे ही कहते हैं होनहार बिरवान के होत चिकने पात. कहा कि इसी प्रकार संत महापुरुषों का भी जन्म हुआ है. साधना के बल से त्रिगुणों को पार करके परब्रह्म परमात्मा से जाकर मिल लेने वाले संत महापुरुष ही संत सदगुरू कहलाये हैं. जैसे सुकदेव जी ने जन्म लिया और सीधे जंगल की ओर चले गए. भगवान बुद्ध जन्म लेते ही सात कदम चले, तुलसीदास ने जन्म लिया और हठ्ठाकर हंस पड़े, सदगुरू महाराज का जब जन्म हुआ तो उनके सिर में सात जटाएं थी. कहा कि जब भगवान का वास दिल में होता है तो सभी शत्रुओं का नाश हो जाता है. सभी बंद रास्ते खुल जाते हैं और संकट स्वतः टल जाते हैं. परमात्मा के छोटे अंश भगवान भी संत को अपने से विशेष कहते हैं. इस प्रकार पूर्ण संत को अवतारी भगवान से बड़ा कहा गया है. सत्र समापन के क्रम में पनोरमा ग्रुप के सीएमडी संजीव मिश्रा स्थल पर पहुंचे और संत महात्माओं का नमन किया. श्री मिश्रा ने स्वामी जी सहित अन्य का माला व शॉल से अभिनंदन किया. वहीं आयोजन कमेटी द्वारा श्री मिश्रा को भी शॉल से सम्मानित किया गया. मंच पर रूपनारायण बाबा, सीताराम बाबा, ऋषि बाबा, गायक वादन के लिए गोपाल गोपी झा, ललन भारद्वाज, निखिल झा थे. मौके पर अध्यक्ष बिंदेश्वरी भगत ,अरविंद भगत ,रमेश भगत, एनके सुशील ,मुकेश कुमार, रमेश साह, शक्ति कुमार, वीरेंद्र साह, राम स्वरूप सिंह, उपेन्द्र सिंह सफल संचालन में जुटे हुए थे.

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