प्रतिनिधि, सुपौल. 1965 और 1971 के युद्धों में वीरता का परिचय दे चुके वयोवृद्ध पूर्व सैनिक सूबेदार (सेवानिवृत्त) दीनानाथ झा ने भारतीय सेना के अद्वितीय पराक्रम और समर्पण की सराहना करते हुए कहा कि हिंदुस्तान की सैन्य शक्ति के सामने पाकिस्तान कहीं नहीं ठहरता. उन्होंने बताया कि 1971 के युद्ध के समय वे बांग्लादेश की राजधानी ढाका में मौजूद थे, जहां पाकिस्तान के जनरल एएके नियाजी ने 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. यह विश्व के सैन्य इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना है. दीनानाथ झा ने गर्व के साथ कहा, भारतीय सेना की शौर्यगाथा दुनिया में अद्वितीय है. इतनी बड़ी संख्या में किसी देश की सेना का आत्मसमर्पण एक मिसाल है. आज हमारी सेना विश्व की चौथी सबसे शक्तिशाली सेना के रूप में स्थापित हो चुकी है और इसका श्रेय वर्तमान नेतृत्व को भी जाता है, जिसने सेना की हर आवश्यकता को प्राथमिकता दी है. उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिक मातृभूमि की रक्षा के लिए हर परिस्थिति में तैयार रहते हैं. हमारे लिए राष्ट्र प्रथम है और मां भारती की आन-बान-शान सर्वोपरि है. ऑपरेशन सिंदूर पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसका कोई सानी नहीं है. यह सिर्फ एक चेतावनी है, अगर पाकिस्तान अब भी नहीं संभला, तो अगली कार्रवाई और भी कठोर हो सकती है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर यह भी दिखा दिया है कि वह आम नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती है. झा ने कहा कि भारत शांति और सौहार्द का पक्षधर है और अपने पड़ोसी देशों के साथ बेहतर संबंध चाहता है, लेकिन जब देश की सुरक्षा की बात आती है तो भारत किसी भी हद तक जाने से पीछे नहीं हटता.
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