सुपौल.
बिहार राज्य औषधि वाहन कर्मचारी संघ के आह्वान पर एक सितम्बर से शुरू हुई राज्यव्यापी हड़ताल का असर अब सुपौल जिले में भी साफ दिखने लगा है. हड़ताल के चलते अस्पतालों में दवाओं की भारी किल्लत हो गई है. मरीजों को जरूरी जीवनरक्षक दवा समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है. जिससे स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी है. जिला औषधि वाहन के चालक विनोद राम ने जानकारी दी कि जिले में दवा आपूर्ति का संचालन राधिका एक्सप्रेस सर्विस कंपनी के माध्यम से किया जाता है. लेकिन पिछले तीन महीने से कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. हालात यह हो गया है कि कई कर्मचारी आर्थिक संकट झेल रहे हैं. बताया कि केवल चालक और कर्मचारियों ही नहीं, बल्कि दवा लोडिंग-अनलोडिंग करने वाले मजदूरों का भी तीन महीने का बकाया भुगतान कंपनी द्वारा रोक दी गयी है. जिला स्तर पर बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई. जिसके कारण कर्मचारियों को मजबूर होकर हड़ताल पर जाना पड़ा.मरीजों पर असर
हड़ताल का सबसे बड़ा असर मरीजों पर पड़ रहा है. जिला अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं की भारी कमी हो गई है. कई मरीजों को आवश्यक दवाएं अस्पताल से न मिल पाने के कारण निजी दवा दुकानों पर निर्भर होना पड़ रहा है. गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए यह अतिरिक्त बोझ बन गया है. अस्पताल प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था करने की कोशिश शुरू की है. लेकिन पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध न होने से समस्या और गंभीर होती जा रही है.मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी हड़ताल
औषधि वाहन कर्मचारी संघ का कहना है कि जब तक बकाया वेतन और लेबर का भुगतान नहीं किया जाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगा. कर्मचारियों का कहना है कि वे भी मजबूरी में इस कदम को उठाने पर विवश हुए हैं. परिवार के भरण-पोषण का संकट खड़ा हो गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

