-टेट्रापॉड तकनीक को बताया उपयोगी – 12 सदस्यीय भारतीय केंद्रीय उच्चस्तरीय समिति ने नेपाल स्थित पुलटेगौड़ा में चल रहे कार्य का लिया जायजा वीरपुर. कोसी नदी क्षेत्र में बाढ़ पूर्व कटाव रोकथाम कार्यों की प्रगति का जायजा लेने तीन दिवसीय दौरे पर आई 12 सदस्यीय भारतीय केंद्रीय उच्चस्तरीय समिति ने मंगलवार को नेपाल स्थित पूर्वी कोसी तटबंध, चतरा और पुलटेगौड़ा में चल रहे कार्यों का गहन निरीक्षण किया. इस संयुक्त निरीक्षण दल में नेपाल पक्ष के 04 प्रतिनिधियों सहित कुल 16 सदस्य शामिल थे. टीम ने कोसी अतिथिशाला से सुबह 9:30 बजे प्रस्थान कर नेपाल के चतरा क्षेत्र में पहले स्पर संख्या 02 और 04 का जायजा लिया. इसके बाद पुलटेगौड़ा क्षेत्र में स्पर संख्या 09, 11, 12, 13 और 34 पर कटाव निरोधक कार्यों का निरीक्षण किया गया. बोल्डर क्रेटिंग और टेट्रापॉड तकनीक पर विशेष ध्यान पुलटेगौड़ा के स्पर संख्या 09 और 11 पर तीन लेयर में किए गए बोल्डर क्रेटिंग कार्य को देखा गया. वहीं, स्पर संख्या 12 पर नई टेट्रापॉड तकनीक से हो रहे कार्यों को लेकर चीफ इंजीनियर वरुण कुमार ने टीम को विस्तृत जानकारी दी. यह पहली बार है जब कोसी में इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कटाव नियंत्रण में अपेक्षित सुधार की संभावना जताई गई है. स्पर संख्या 13 पर बोल्डर क्रेटिंग की स्थिति की समीक्षा की गई, जबकि स्पर संख्या 34 पर परकोपाइन संरचना का भी निरीक्षण हुआ. टीम ने परकोपाइन पर एक झांकी लगाने का सुझाव दिया ताकि उसकी कार्यप्रणाली और प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सके. सुधार के लिए सुझाव और दिशा-निर्देश स्पर संख्या 50 और 51 पर टीम ने क्रेटिंग के रिपेयरिंग कार्य के दौरान छोटे बोल्डर के प्रयोग पर आपत्ति जताई और स्पष्ट निर्देश दिया कि छोटे बोल्डर को हटाकर बड़े आकार के बोल्डर का प्रयोग किया जाए. पूर्वी कोसी तटबंध के 23.78 किमी से 23.52 किमी के बीच लगाए गए परकोपाइन कार्य पर टीम ने संतोष जताया. इसके बाद टीम कोसी बराज के लिए रवाना हुई, जहां अपस्ट्रीम गोलघर क्षेत्र में चल रहे कटाव निरोधक कार्यों की स्थिति का मूल्यांकन किया गया. टीम ने निरीक्षण के दौरान फिलहाल किसी भी आधिकारिक टिप्पणी से परहेज किया और बताया कि सभी जानकारी एकत्र करने के बाद ही रिपोर्ट साझा की जाएगी. निरीक्षण के दौरान उच्चस्तरीय टीम के साथ चीफ इंजीनियर वरुण कुमार, अधीक्षण अभियंता संजय कुमार, कार्यपालक अभियंता मनोज कुमार सहनी, कई एसडीओ, जूनियर इंजीनियर (जेई) और संबंधित कार्य एजेंसियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
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