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समुदाय सलाहकार समिति की पहली बैठक आयोजित, पीएमपीएसई के दूसरे चरण की शुरुआत

एचआईवी रोकथाम को ले उच्च जोखिम समूह के सर्वेक्षण की दिशा में बड़ा कदम

-एचआईवी रोकथाम को ले उच्च जोखिम समूह के सर्वेक्षण की दिशा में बड़ा कदम सुपौल. जिले में एचआईवी की रोकथाम के लिए उच्च जोखिम समूह के सर्वेक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए प्रोग्रामेटिक मैपिंग और जनसंख्या आकार अनुमान (पी-एमपीएसई) के तहत गठित समुदाय सलाहकार समिति की पहली बैठक आयोजित की गई. बैठक का आयोजन बीजीजेएएस के सहयोग से सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार ठाकुर की अध्यक्षता में सिविल सर्जन कार्यालय में हुआ. बैठक को संबोधित करते हुए डॉ ठाकुर ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और यूएन एड्स ने एचआईवी, एड्स महामारी वाले क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी और प्रतिक्रिया के तहत उच्च जोखिम समुदाय की संख्या का अनुमान लगाने की अनुशंसा की है. यह अनुमान नीति निर्माण, संसाधन वितरण और लक्षित हस्तक्षेप कार्यक्रमों के विकास में सहायक होगा. उच्च जोखिम समूह की परिभाषा और महत्व जिला एड्स नियंत्रण पदाधिकारी डॉ चंदन कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय एड्स एवं एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) के तहत भारत में महिला यौनकर्मी, पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष, नशीली दवाओं का इंजेक्शन लेने वाले लोग, हिजड़ा, ट्रांसजेंडर और यौनकर्मियों के ग्राहक एचआईवी के लिए उच्च जोखिम समूह माने जाते हैं. राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) समय-समय पर इन समूहों के आकार का आकलन पीएमपीएसई पद्धति से करता है. डीपीएम डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि पीएमपीएसई एक व्यवस्थित पद्धति है, जो उन हॉटस्पॉट स्थलों का नक्शा तैयार करती है, जहां उच्च जोखिम समूह एकत्र होते हैं. यह पद्धति वैश्विक स्तर पर प्रभावी कार्यक्रम क्रियान्वयन के लिए अनुशंसित है. पिछले चरण की उपलब्धि व वर्तमान कार्ययोजना प्रभारी डीआईएस बंधु नाथ झा ने बताया कि वर्ष 2020-2022 के बीच भारत के 651 जिलों में पीएमपीएसई का पहला चरण आयोजित किया गया था, जिससे उच्च जोखिम समूहों की सटीक जानकारी प्राप्त हुई. अब दूसरे चरण में लगभग 700 जिलों, जिनमें बिहार के सभी 38 जिले शामिल हैं, में सर्वेक्षण किया जाएगा. कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बीजीजेएएस के कार्यपालक निदेशक ई कौशलेंद्र कुमार ने बताया कि आगामी दो माह में सुपौल जिले के सभी हॉटस्पॉट का आकलन कर उच्च जोखिम समूह की संभावित संख्या का पता लगाया जाएगा. यह कार्य सुपौल के साथ-साथ सहरसा, बेगूसराय और समस्तीपुर में भी संचालित हो रहा है. बैठक में परियोजना प्रबंधक मनीष कुमार सहित कई अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे और इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन में सहयोग की अपील की.

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