सुपौल. जिले में डेंगू ने दस्तक दे दी है. मंगलवार को सुपौल में पहला स्थानीय मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है. इस वर्ष अब तक जिले से कुल छह डेंगू मरीजों की पहचान हुई है, जिनमें से पांच मरीज बाहर राज्यों से जुड़े प्रवासी थे, लेकिन अब जिले के भीतर ही डेंगू का मामला सामने आने से स्वास्थ्य महकमे की चिंता बढ़ गई है. जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ दीप नारायण राम ने बताया कि मरीज को समय रहते चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है और डॉक्टरों की टीम उसकी लगातार निगरानी कर रही है. मरीज की स्थिति फिलहाल स्थिर बताई गई है. प्रभावित क्षेत्र में एंटी-लार्वा अभियान और फॉगिंग कराने का निर्देश दिया गया है. डेंगू के प्रमुख लक्षण डेंगू होने पर मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द और बदन दर्द, आंखों के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते हैं. इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत जांच कराने और डॉक्टर की सलाह लेने की अपील की गई है. डॉक्टरों ने बताया कि डेंगू मरीज को पपीते का पत्ता का रस, नारियल पानी और अधिक तरल पदार्थ देना चाहिए. मरीज को पर्याप्त आराम कराना चाहिए और बिना डॉक्टर की सलाह के दवा नहीं लेनी चाहिए. स्वास्थ्य विभाग ने की अपील बरसात के मौसम में जगह-जगह पानी जमा होने से एडीज एजिप्टी मच्छर पनपने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि घर के आसपास पानी जमा न होने दें, कूलर, गमले, टंकी व पुराने बर्तनों को साफ रखें. पूरी बाजू के कपड़े पहनें और मच्छरदानी, रिपेलेंट का इस्तेमाल करें. बुखार होने पर तुरंत जांच कराएं. स्थानीय स्तर पर मरीज मिलने के बाद लोगों में हल्की दहशत देखी जा रही है. कई लोगों का मानना है कि यदि समय रहते रोकथाम के उपाय नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में स्थिति गंभीर हो सकती है. कहते हैं सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉ ललन ठाकुर ने कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट रहने का आदेश दिया गया है. पीएचसी में डेंगू जांच किट और दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं, वहीं जिला अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए अलग वार्ड तैयार रखा गया है. उन्होंने कहा कि “डेंगू से बचाव ही सबसे कारगर उपाय है, क्योंकि इसका कोई विशेष टीका या दवा उपलब्ध नहीं है.
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