सुपौल. कर्णपुर स्थित बाबापीठ कालीधाम में चल रहे सहस्त्र चण्डी महायज्ञ एवं श्रीमद् देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का अष्टम दिवस पूर्ण श्रद्धा, वैदिक अनुशासन और सांस्कृतिक उल्लास के साथ संपन्न हुआ. रामनवमी के अवसर पर आयोजन स्थल श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा, जहां आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्वितीय संचार हुआ. दिन की विशिष्टता रही सामवेद और अथर्ववेद का पाठ, जिसमें पंडित ओमप्रकाश, पंडित चंदन झा, पंडित मनोज कुमार झा, पंडित वैद्यनाथ झा और पंडित मणिरमण ने भाग लिया. वेदों की लयबद्ध ध्वनि और मंत्रों की दिव्यता से समस्त परिसर वैदिक वातावरण में डूब गया. शिव-शक्ति के अद्वैत संबंध का व्याख्यान मुख्य व्याख्याता शिवाचार्य पंडित जीवेश्वर मिश्र ने कहा कि यह महायज्ञ केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण का महान अवसर है. उन्होंने शिव और शक्ति के अद्वैत स्वरूप को स्पष्ट करते हुए बताया, शिव बिना शक्ति के शव समान हैं, और शक्ति बिना शिव के दिशाहीन. उन्होंने यह भी बताया कि यह पावन स्थल वर्षों से शक्ति-साधना का केंद्र रहा है. शक्तिपीठों की उत्पत्ति और विवाह झांकी बनी आकर्षण का केंद्र आचार्य शुकदेवानंद व्यास ने श्रीमद् देवी भागवत के मार्मिक प्रसंगों के माध्यम से माता सती की कथा और शक्तिपीठों की स्थापना का भावपूर्ण वर्णन किया. साथ ही शिव-पार्वती विवाह की झांकी में लक्ष्मी और प्रिया द्वारा निभाई गई भूमिकाओं ने दर्शकों को अभिभूत कर दिया. मौके पर अमरेश पाठक, सुबोध पाठक, अजीत पाठक, बिपिन पाठक, संजीव झा, संजय झा, कुंदन राय, संजू देवी, नीलम देवी सहित ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे. कार्यक्रम में सुरक्षा और सफाई के प्रति विशेष सजगता देखी जा रही है, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ रहा. समापन की ओर बढ़ता महायज्ञ, होंगे विशेष आयोजन आयोजकों के अनुसार आगामी दिनों में कन्या पूजन, रात्रि भजन संध्या, नवरात्रि विशेष आरती और पूर्णाहुति जैसे विशेष धार्मिक आयोजन संपन्न होंगे. यह महायज्ञ समर्पण, सेवा और धर्म का जीवंत उदाहरण बनकर समस्त समाज को प्रेरित कर रहा है.
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