– केंद्र व राज्य सरकार की इस संयुक्त पहल से विकास, सुरक्षा और संपर्क को समेकित रूप से मिलेगा बल सुपौल. केंद्र सरकार ने सुपौल जिले के वीरपुर में स्थित हवाई अड्डा के पुर्नविकास को मंजूरी दे दी है. अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे इस संवेदनशील क्षेत्र में उड़ान योजना (उड़े देश का आम नागरिक) के तहत हवाई सेवा शुरू करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय की प्रोजेक्ट इवैल्यूएशन कमेटी (पीईसी) ने इस योजना के पहले चरण में छह छोटे हवाई अड्डों के लिए 25-25 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत करने की सिफारिश की है. जिसमें वीरपुर हवाई अड्डा भी शामिल है. मुख्यमंत्री की पहल लाई रंग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हालिया ‘प्रगति यात्रा’ के दौरान उन्होंने सीमावर्ती इलाकों की कनेक्टिविटी पर जोर दिया था. उसी दिशा में तेजी से कार्यवाही करते हुए, वीरपुर एयरपोर्ट के पुर्नविकास कार्य को प्राथमिकता दी गई है. इससे राज्य के पर्यटन, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को नई गति मिलने की उम्मीद है. भूमि अधिग्रहण को मिली स्वीकृति 04 फरवरी 2025 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 88.83 एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए 42.37 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई. वर्तमान में एयरपोर्ट के पास 62.16 एकड़ जमीन उपलब्ध है, जो भूमि अधिग्रहण के बाद बढ़कर 150.16 एकड़ हो जाएगी. इससे रनवे की लंबाई तीन किलोमीटर तक बढ़ाई जा सकेगी, जिससे बड़े विमानों की लैंडिंग भी संभव हो पाएगी. ढांचा और निर्माण कार्य में प्रगति अब तक वीरपुर एयरपोर्ट परिसर में लाउंज का निर्माण और 22 करोड़ रुपये की लागत से रनवे का चौड़ीकरण कराया जा चुका है. यह हवाई अड्डा पहले भारतीय वायु सेना के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से उपयोगी रहा है, और अब आम नागरिकों के लिए भी सुविधाजनक साबित होगा. पर्यटन, शोध और व्यापार को मिलेगा प्रोत्साहन वीरपुर की भौगोलिक स्थिति इसे विशिष्ट बनाती है. नेपाल सीमा से सटे होने के कारण यहां पर्यटक, शोधार्थी और व्यापारी बड़ी संख्या में आते हैं. पास ही स्थित फिजिकल मॉडलिंग सेंटर में देशभर से शोधकर्ता शोध के लिए आते हैं. वायुमार्ग से जुड़ जाने पर उन्हें और पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. सुरक्षा और व्यापार को बढ़ावा वीरपुर में सशस्त्र सीमा बल (45वीं बटालियन), बिहार सैन्य पुलिस (12वीं एवं 15वीं बटालियन) और निकटवर्ती भीमनगर सीमा शुल्क चौकी जैसे सुरक्षा और व्यापारिक संस्थान मौजूद हैं. हवाई संपर्क से इन सभी को रणनीतिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से मजबूती मिलेगी. इसके अतिरिक्त, नेपाल के व्यापारिक क्षेत्रों के लिए भी यह हवाई अड्डा एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है.
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