– नगर परिषद की कार्रवाई सीमित, जागरूकता की सख्त जरूरत त्रिवेणीगंज. भले ही सरकार द्वारा पॉलीथिन पर सख्त प्रतिबंध लगाया गया हो, लेकिन नगर परिषद क्षेत्र के मुख्य बाजार में इसका खुलेआम उल्लंघन हो रहा है. फल-सब्जी, मांस-मछली, किराना, कपड़ा व दवा दुकानों में धड़ल्ले से पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा है. इसका सीधा असर पर्यावरण, स्वास्थ्य और जनजीवन पर पड़ रहा है. स्थानीय बाजारों और मोहल्लों में पॉलीथिन की थैलियों को जगह-जगह फेंकने से नालियां जाम हो रही हैं और हर ओर कचरे का अंबार लग गया है. नदियों और नालों में पॉलीथिन फेंके जाने से जलधाराएं भी प्रदूषित हो रही हैं. हल्की सी बारिश के बाद ही जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है. वहीं, खेतों में पॉलीथिन मिल जाने से भूमि की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित हो रही है. पशु व जीव-जंतुओं पर बढ़ रहा खतरा फेंकी गई पॉलीथिन को खा लेने से आवारा मवेशी और अन्य जीव-जंतु बीमार हो रहे हैं. भारत सरकार के ठोस अपशिष्ट निवारण अधिनियम के अनुसार 40 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन थैली पर्यावरण के लिए अत्यंत हानिकारक है और इसका पुन: उपयोग संभव नहीं होता. बावजूद इसके, इन थैलियों का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार पॉलीथिन पर कई वर्षों से प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन आमजन आज भी इसके प्रति जागरूक नहीं हैं. लोग बिना थैला लाए ही बाजार पहुंच जाते हैं और दुकानदार भी उन्हें सहजता से पॉलीथिन में सामान दे देते हैं. यह मानसिकता पर्यावरण संरक्षण में बड़ी बाधा है. विशेषज्ञों का मानना है कि पॉलीथिन के उपयोग पर सिर्फ दुकानदारों पर जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा, बल्कि उपभोक्ताओं पर भी दंडात्मक कार्रवाई की व्यवस्था होनी चाहिए. इसके साथ ही व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है. नगर परिषद की प्रतिक्रिया इस संबंध में नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राज साहिल ने बताया, पूर्व में भी पॉलीथिन को लेकर छापामारी की गई थी, जिसमें बड़ी मात्रा में पॉलीथिन जब्त की गई थी. अब फिर से नियमित छापामारी अभियान चलाया जाएगा. साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए भी अभियान चलाया जाएगा.
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