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नौ वर्षों के बाद भी आदेश का पालन नहीं

जिले के दर्जनों विद्यालयों में एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं है. वहीं दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र के अनुपात से शिक्षक अधिक है. इस कारण सरकार द्वारा छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को धरातल पर उतारने का सपना सफल नहीं हो रहा है. पंकज […]

जिले के दर्जनों विद्यालयों में एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं है. वहीं दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र के अनुपात से शिक्षक अधिक है. इस कारण सरकार द्वारा छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को धरातल पर उतारने का सपना सफल नहीं हो रहा है.
पंकज झा
सुपौल : जिले के शिक्षा विभाग में पदस्थापित अधिकारियों के लिए सरकार का आदेश कोई मायने नहीं रखता. यहां अधिकारी व शिक्षा माफियाओं की मनमर्जी से कार्यों का निष्पादन होता है. यही वजह है कि सरकार व शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के आदेश को नौ वर्षों से अधिकारी ठंडे बस्ते में डाल कर शिक्षकों का शोषण कर रहे हैं.
इन अधिकारियों को विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों के भविष्य की भी चिंता नहीं है. यही वजह है कि जिले के दर्जनों विद्यालयों में एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं है. वहीं दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं, जहां छात्र के अनुपात से अधिक शिक्षकों की पदस्थापना की गयी है.
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के इस रवैये की वजह से सरकार द्वारा छह से 14 आयु वर्ग के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 को धरातल उतारने का सपना फलीभूत नहीं हो पा रहा है. यह दीगर बात है कि वर्ष 2007 से अब तक कई बार शिक्षकों के सामंजन की प्रक्रिया आरंभ की गयी. सामंजित होने वाले शिक्षकों की सूची तैयार कर शिक्षा माफियाओं के माध्यम से जम कर अवैध राशि की उगाही की गयी, लेकिन उगाही के बाद पुन: इस प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक कार्य के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात को दुरुस्त करने हेतु शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा अतिरिक्त शिक्षकों के सामंजन हेतु बनायी गयी सभी कार्य योजना शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अकर्मण्यता, मनमानी एवं उनके कार्यशैली के कारण जिले में विफल हो गया है. शिक्षा विभाग के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव द्वारा जिले के प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में कार्यरत अतिरिक्त नियोजित शिक्षकों के सामंजन आदेश निर्गत करने की अंतिम तिथि 10 नवंबर को बीत जाने के बावजूद एक भी शिक्षक का सामंजन पत्र निर्गत नहीं हो पाया है.
जबकि जिले के सभी 11 प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी एवं जांच पदाधिकारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के द्वारा सामंजित होने वाले लगभग 700 शिक्षकों की सूची पर मुहर लगाया जा चुका है.लेकिन जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा नियोजन इकाई को सामंजित होने वाले शिक्षकों की सूची अंतिम तिथि तक नहीं भेजे जाने के कारण सामंजन प्रक्रिया एक बार फिर अधर में लटक गया है.जबकि सरकार द्वारा शिक्षकों के सामंजन प्रक्रिया को वर्ष 2007 से ही प्रारंभ कर लगातार जिला स्तर के पदाधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा है. लेकिन स्थिति यह है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी व शिक्षा माफियाओं के गंठजोड़ के कारण नौ वर्षों में छात्र हित में शैक्षणिक कार्य को सुदृढ एवं प्रभावशाली बनाने के लिए एक भी शिक्षकों का सामंजन नहीं किया गया है.
क्या है सरकार का आदेश
बिहार सरकार शिक्षा विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव अशोक कुमार सिंह ने वर्ष 2007 में जिले के शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को पत्र लिख कर आवश्यकता अनुसार छात्र-शिक्षक अनुपात में प्रारंभिक विद्यालय के नियोजित शिक्षकों को इकाई सहित दूसरे विद्यालय में सामंजन करने का स्पष्ट आदेश जारी किया था. विशेष सचिव ने पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया था कि जिले के कई विद्यालयों में छात्र के अनुपात में शिक्षक अधिक संख्या में नियोजित हो गये हैं.
जबकि कई विद्यालयों में छात्र के अनुपात में शिक्षकों की काफी कमी है.बच्चों की शिक्षा एवं विद्यालय के हित में अतिरिक्त शिक्षक का इकाई के साथ सामंजन करना आवश्यक हो गया है.इसलिए विद्यालय के पोषक क्षेत्र से छह से 14 आयु वर्ग के इन विद्यालयों में पढ़ने वाले सभी बच्चों की संख्या के अनुपात में शिक्षक का सामंजन करने हेतु अंतिम तिथि 15 नवंबर 2007 निर्धारित किया गया था.लेकिन विशेष सचिव के इस आदेश का अधिकारियों द्वारा अनुपालन नहीं किया गया.
वहीं वर्ष 2009 में शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव ने पत्र लिख कर पूर्व में निर्गत आदेश के आलोक में शिक्षक-छात्र अनुपात में शिक्षक इकाईयों की सामंजन की कार्यवाही 31 दिसंबर 2009 तक पूर्ण करने का आदेश तत्कालीन जिला शिक्षा अधीक्षक को दिया था.सरकार द्वारा जारी आदेश का अनुपालन नहीं होने के बाद बिहार विधानसभा के सदस्य शचिंद्र प्रसाद सिंह द्वारा प्रस्तुत निवेदन संख्या 06/16 के आलोक में निदेशक प्राथमिक शिक्षा एम रामचंद्रुडू ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को 29 अप्रैल 2016 को पत्र लिख कर जारी आदेश के अनुपालन का निर्देश दिया है.

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