सुपौल : सदर अस्पताल में सब कुछ ठीक -ठाक नहीं चल रहा है. या ऐसा कहें कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का किसी भी विभाग पर नियंत्रण नहीं है. यही वजह है कि आम लोगों के लिए सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ सुविधा शुल्क जमा किये बिना नहीं मिल पाता है. सबसे विकट स्थिति यहां संचालित ब्लड स्टोरेज सेंटर की है,
जहां सुविधा शुल्क जमा किये बिना ब्लड प्राप्त करना मुमकिन नहीं है. इस सेंटर में तैनात कर्मियों की मनमानी के कारण गरीब व लाचार मरीज आवश्यक रहने के बावजूद भी बिना ब्लड चढ़ाये ही अपने मरीज को लेकर चले जाते हैं.
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि अधिकारियों के पास इस बात की शिकायत किये जाने के बावजूद इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है.ब्लड के बदले ब्लड का है प्रावधान नियमानुसार जरूरतमंदों द्वारा डोनर का प्रबंध कर स्टोरेज सेंटर से ब्लड के एवज में ब्लड देकर आवश्यकतानुसार ब्लड प्राप्त करने का प्रावधान है. पर, इस कार्य के लिए अधिकृत संतोष मेडिकल एजेंसी पूर्णिया के कर्मियों द्वारा गरीब व लाचार लोगों से मनमाने तरीके से अवैध राशि की उगाही की जा रही है. एजेंसी के कर्मियों द्वारा ब्लड के बदले ब्लड देने के लिए अनेक प्रकार के बहाने बनाये जाते हैं. इसके लिए बकायदा शुल्क निर्धारित है.
यह बात अलग है कि केवल सदर अस्पताल से बाहर ले जाने पर ही पांच सौ रुपये की रसीद दी जाती है. लोग नहीं करते रक्तदान रक्तदान को महादान कहा गया है. कई ऐसे लोग हैं, जो समय-समय पर रक्तदान कर जरूरतमंदों को रक्त उपलब्ध कराने का काम करते हैं. वहीं कई ऐसी संस्थाएं भी हैं,
जिनके द्वारा शिविर लगा कर रक्त संग्रह के बाद ब्लड स्टोरेज सेंटर को दिया जाता है. पर, इस सेंटर में रक्त लेने के लिए बैग उपलब्ध नहीं रहने का बहाना बना कर टाल दिया जाता है. नतीजतन रक्तदान के लिए इच्छुक व्यक्ति बिना रक्त दिये वापस लौट जाते हैं.ब्लड बैग के नाम पर भी होती है वसूली सदर अस्पताल में रक्त संग्रह करने के लिए अधिकृत एजेंसी संतोष मेडिकल पूर्णिया को इस कार्य के लिए जिला स्वास्थ्य समिति से भुगतान किया जाता है.
जिला स्वास्थ्य समिति से के अनुसार एजेंसी को सदर अस्पताल के चिकित्सकों की अनुशंसा के आधार पर भुगतान किया जाता है. इसमें ब्लड बैग भी शामिल है. पर, एजेंसी के कर्मियों द्वारा ब्लड बैग नहीं होने का बहाना बना कर जरूरत मंद लोगों से 200 से 500 रुपये तक की वसूली की जाती है. ऐसा नहीं है कि इस बात की जानकारी विभागीय अधिकारियों को नहीं है, लेकिन अधिकारी सब कुछ जान कर भी अनजान बने हैं. जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा एजेंसी को सब कुछ उपलब्ध कराया जाता है. राशि उगाही की जानकारी नहीं है. शिकायत मिलने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जायेगी. डाॅ रामेश्वर साफी, सिविल सर्जन, सुपौल