अमरेंद्र, सुपौल : कोसी के जल अधिग्रहण क्षेत्र में विगत चार-पांच दिनों से हो रही बारिश के कारण नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. मानसून के इस मौसम में गुरुवार को कोसी बराज पर अब तक का सर्वाधिक डिस्चार्ज दर्ज किया गया. बराज से रात आठ बजे कुल 1,77,820 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. जो बढ़ने के क्रम में है.
हालांकि इसमें से 07 हजार क्यूसेक पानी पूर्वी कोसी मुख्य केनाल एवं 03 हजार क्यूसेक पानी पश्चिमी कोसी मुख्य नहर में छोड़ा गया. नेपाल स्थित बराह क्षेत्र में भी नदी के जलस्राव में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गयी है. अपराह्न 04 बजे बराह क्षेत्र का डिस्चार्ज 01 लाख 29 हजार 800 पर पहुंच गया.
हालांकि शाम 06 बजे बराह के डिस्चार्ज में थोड़ी कमी आयी और कुल डिस्चार्ज 01 लाख 77 हजार 820 क्यूसेक दर्ज किया गया. कोसी के जलस्तर में हो रही बढ़ोतरी के कारण तटबंध के भीतर बसे गांव में लोगों की समस्या बढ़ने लगी है. खेतों में लगे फसल डूब रहे हैं. वहीं नदी किनारे अवस्थित कई गांव में भी बाढ़ का पानी प्रवेश कर रहा है. प्रशासन द्वारा प्रभावित क्षेत्र की लगातार चौकसी व निगरानी का दावा किया जा रहा है.
लेकिन ग्रामीणों की मानें तो तटबंध के भीतर सरकारी स्तर पर अब तक एक भी नाव की बहाली नहीं की गयी है. विभागीय अधिकारी बताते हैं कि नाव का पंजीकरण व एमभीआई रिपोर्ट होने के बाद नाव का परिचालन शुरू होगा. इस बीच कोसी पीड़ितों को निजी नाव का ही एक मात्र सहारा है. जबकि निजी नाव चालकों द्वारा पीड़ितों से मनमाने रूप से भाड़े की उगाही की जाती है. वहीं खेते में लगे धान के फसल डूब गये हैं.
करीब 75 हजार वर्ग किलोमीटर विशाल जल अधिग्रहण क्षेत्र की वजह से वर्षा के मौसम में उफनती है कोसी
सुपौल : चीन की ह्वांगहो नदी की तरह कोसी का भी नाम दुनिया की सबसे खतरनाक एवं चपलतम नदियों में शुमार है. जो ऊफनाती है तो सभी सीमाएं तोड़ डालती है और भयानक तबाही मचाती है. दरअसल इसका मुख्य कारण कोसी का उद्गम स्थल है. मालूम हो कि कोसी नदी हिमालय पर्वतमाला से करीब 07 हजार मीटर की ऊंचाई से निकलती है.
जिसका ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र नेपाल और तिब्बत में अवस्थित है. माउंट एवरेस्ट एवं कंचनजंघा पर्वत के ग्लेशियर से निकलने वाली यह नदी नेपाल में आमतौर पर सप्तकोशी के नाम से जानी जाती है. जो सात नदियों से मिल कर बनती है. इनमें इंद्रावती, सुनकोसी, भोटकोसी, तांब्र कोसी, लिक्षु कोसी, दूध कोसी, अरूण कोसी और तामर कोसी शामिल हैं.
यह नदियां गौरी-शंकर शिखर एवं मकालू पर्वतमाला से होकर आती है. अरूण कोसी एवरेस्ट अर्थात सागर माथा एवं तामर कोसी कंचनजंघा पर्वतमाला से पानी लाती है. सुनकोसी पांच नदियों का संगम है. जिसमें सुन, अरूण और तामर नेपाल के धनकुट्टा जिले में त्रिवेणी नामक स्थान पर आकर मिलती है. यहीं इसका नाम सप्तकोसी, महाकोसी या कोसी हो जाता है. त्रिवेणी नेपाल के चतरा से 10 किलोमीटर उत्तर पहाड़ों में स्थित है.
हिंदू ग्रंथों में भी कोसी की है चर्चा : कोसी एक ऐतिहासिक नदी है. जिसकी चर्चा पौराणिक ग्रंथों में भी की गयी है. हिंदू ग्रंथों में कोसी को कौशिकी नाम दिया गया है. कहा जाता है कि ऋषि विश्वामित्र ने इसी नदी के किनारे तपस्या कर ऋषि का दर्जा प्राप्त किया था. विश्वामित्र कुशिक ऋषि के शिष्य थे. जिन्हें ऋग्वेद में कौशिक भी कहा जाता है. महाभारत में भी कौशिकी नाम का जिक्र है.
हनुमाननगर के समीप भारत में करती है प्रवेश
कोसी नदी नेपाल व तिब्बत के पहाड़ों की लंबी यात्रा करने के बाद नेपाल के हनुमाननगर के समीप भारत में प्रवेश करती है. जहां नदी के पश्चिमी भाग में हनुमाननगर एवं पूर्वी भाग में भीमनगर अवस्थित है.
यहां से करीब 100 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद कोसी महिषी पहुंचती है. फिर करीब 30 किलोमीटर की यात्रा के दौरान कोपरिया को पार कर कुरसैला के समीप गंगा में जाकर मिल जाती है. नदी की कुल लंबाई करीब 724 किलोमीटर मानी जाती है.
कुल जल ग्रहण क्षेत्र
कोसी का विशाल जलग्रहण क्षेत्र करीब 74 हजार 30 वर्ग किलोमीटर है. जबकि इसकी मुख्य धाराएं कमला नदी का जल अधिग्रहण क्षेत्र 60 हजार 232 वर्ग किलोमीटर एवं बागमती का जल अधिग्रहण क्षेत्र 14 हजार 384 वर्ग किलोमीटर है, जो इसमें शामिल नहीं है. भारत में कोसी का जल अधिग्रहण क्षेत्र 11 हजार 410 वर्ग किलोमीटर तथा नेपाल व तिब्बत में 62 हजार 620 वर्ग किलोमीटर पड़ता है.
कोसी के ऊपरी क्षेत्र में 1589 एवं निचले क्षेत्र में करीब 1323 वर्ग मिली मीटर बारिश होती है. यही वजह है कि भारत व नेपाल स्थित कोसी के व्यापक जल अधिग्रहण क्षेत्र में जब बारिश होती है तो कोसी ना सिर्फ उफनाती है बल्कि विशाल पानी का भंडार सैलाब बन कर मार्ग में आने वाले क्षेत्र में कहर ढाता है.
सुरक्षित है तटबंध व स्पर
भारी बारिश के कारण कोसी का डिस्चार्ज बढ़ा है. लेकिन सभी तटबंध एवं स्पर पूरी तरह सुरक्षित हैं. जल संसाधन विभाग के अभियंता व अधिकारियों द्वारा लगातार बांध की निगरानी की जा रही है.
प्रकाश दास, मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग, वीरपुर
कहते हैं अधिकारी
अपर समाहर्ता सह जिला आपदा पदाधिकारी अखिलेश कुमार झा ने बताया कि तटबंध के भीतर प्रभावित क्षेत्र की रिपोर्ट सभी अंचलाधिकारी से मांगी गयी है. रिपोर्ट मिलने के बाद आवश्यक कार्यवाही की जायेगी.