सुपौल : अपेक्षित बारिश व पटवन की व्यवस्था नहीं रहने की वजह से किसानों का कैश क्रॉप यानि दलहन की पैदावार को लेकर किसानों की परेशानियां बढती जा रही है. सैकड़ों एकड़ में लगाये मूंग की फसल पानी के अभाव में सूखने के कगार पर है. जून के प्रथम सप्ताह में औसत से भी कम बारिश हुई है.इससे फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले विभिन्न प्रकार के कीट पैदा हो गये हैं.
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सूख रहे धान के बिचड़े व मूंग की फसल,पटवन की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं रहने से किसान हलकान
सुपौल : अपेक्षित बारिश व पटवन की व्यवस्था नहीं रहने की वजह से किसानों का कैश क्रॉप यानि दलहन की पैदावार को लेकर किसानों की परेशानियां बढती जा रही है. सैकड़ों एकड़ में लगाये मूंग की फसल पानी के अभाव में सूखने के कगार पर है. जून के प्रथम सप्ताह में औसत से भी कम […]
जो मूंग के पत्ते को चाट रहा है. सैकड़ों एकड़ में लगी पटुआ व अगहनी धान के बिचरे भी सूख रहे है. किसानों के लिए पटवन की समुचित व्यवस्था नहीं रहने से किसानों को फसल पटवन के लिए परंपरागत बोरिंग का ही सहारा लेना पड़ रहा है. जो किसान के लिए घाटे का सौदा है. लिहाजा किसान नहर में पानी आने व बारिश के इंतजार में हाथ पर हाथ धड़े बैठे हैं.
सिंचाई की नहीं है सुदृढ़ व्यवस्था: राज्य व केंद्र की सरकार किसानों की आय दोगुनी व आर्थिक रूप से मजबूत किये जाने के लिए कई दावे कर रहे हैं. कृषि बजट में कई प्रकार की योजनओं को दर्शाया भी गया है. लेकिन धरातल पर किसानों के लिए किये गये दावे खोखला साबित हो रहे हैं.
किसानों को अपनी फसल के लागत मूल्य भी पैदावार से नहीं निकल रहा है. लिहाजा किसानों की स्थिति दिन ब दिन बद से बदतर होती जा रही है. हाल ही में राज्य सरकार ने किसानों के खेत की सिंचाई एवं पटवन के लिए उनके खेतों तक बिजली पहुंचाने का ऐलान किया. शुरूआती दौर में जिले के विभिन्न हिस्सों में शिविर आयोजित कर कृषि कार्य के लिए विद्युत कनेक्शन के लिए आवेदन प्राप्त किये गये.
किसानों के खेत तक बिजली नहीं पहुंच पा रही. वहीं सिंचाई के लिए पूर्व से स्थापित नहर व स्टेट बोरिंग की व्यवस्था भी ध्वस्त होती जा रही है. फसल के किसी भी सीजन में नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता रहा है. आज भी जिले के दर्जनों नहर व भीसी सूखे पड़े हैं. जिस कारण किसानों को अपने पाट, धान बिचड़ा व मूंग आदि फसल में बोरिंग द्वारा पानी पटवन किये जाने की विवशता बनी हुई है.
कहते हैं किसान
जदिया निवासी किसान चंदेश्वरी यादव ने बताया कि हर सरकार किसानों को ठगने का ही काम किया है. वर्तमान में राज्य व केंद्र सरकार का ध्यान किसान की ओर नहीं है. किसान दिन रात एक कर खेत में पसीना बहाते हैं. लेकिन खेती से उनका लागत मूल्य भी नहीं निकल पाता है.
कोरियापट्टी निवासी किसान रामचंद्र यादव कहते हैं कि पूर्व में सरकार ने किसानों के लिए राज्य में जगह-जगह स्टेट बोरिंग लगवाया था. साथ ही नहर प्रणाली के द्वारा किसानों के खेत तक पानी पहुंचे इसके लिए इलाके में नहर ले जाया गया. वक्त के साथ-साथ यह सब इतिहास के पन्ने में दर्ज होता गया. वर्तमान सरकार किसानों के हितेषी होने का दावा कर रही है. लेकिन सच्चाई यह है धान अधिप्राप्ति की राशि नहीं मिल पा रही है. जब किसान अपना गेहूं बेच चुके थे, तब गेहूं क्रय का केंद्र खोला गया.
थरबिटिया निवासी किसान चानो यादव ने बताया कि सिंचाई के लिए सरकार द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा है. किसान आज भी परंपरागत बोरिंग के द्वारा खेतों में पटवन करने पर विवश हैं. जहां किसानों को अधिक राशि खर्च करना पड़ता है. डीजल अनुदान भी उनलोगों को अब तक नहीं मिल पाया है. बताया मानसून के नहीं शुरू होने के कारण धान का बिचड़ा सूख रहा है.
– तुलापट्टी निवासी किसान धनराज यादव बताते हैं कि कोई सरकार क्यों ना हो किसान का कोई भला नहीं कर सका है. किसान अपने मेहनत के बल पर ही परिवार की नैया खे रहे हैं. वर्तमान हालात में खेती से उनलोगों के परिवार का भरण पोषण ही संभव है. बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए वे लोग बाहर नहीं भेज सकते हैं.
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