सुपौल : डॉक्टर द्वारा किडनी निकाले जाने के मामले में नया मोड़ आया है. इस बाबत पीड़िता आशा देवी के सदर थाना क्षेत्र के बैरो निवासी पति मनोज चौधरी ने डीएम को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है. जिसमें श्री चौधरी ने कहा है कि इस मामले में सीएस के द्वारा 23 जनवरी को बोर्ड का गठन कर जांच करवाया गया.
जिसमें पीड़िता आशा देवी को भीआईएस, आईभीपी और एमआरआई जांच करवाने की आवश्यकता महसूस की गयी. ताकि सही निर्णय लिया जा सके. जांच बोर्ड द्वारा 29 जनवरी को दरभंगा के डायग्नोस्टिक सेंटर दरभंगा में जांच करवाने की तिथि निर्धारित की गयी. उक्त तिथि को लेकर पीड़िता अपने परिजन के साथ जब बोर्ड के सहयोगी महेश प्रसाद के पास पहुंची तो उन्होंने जांच हेतु 15 हजार रुपये जमा करने की बात कही.
पीड़िता के परिजन का कहना है कि वो आर्थिक रूप से काफी लाचार हैं. घर का सारा पैसा वो पत्नी के इलाज में लगा दिया है. कहा कि 15 हजार रुपया जमा नहीं करने पर पीड़िता को मेडिकल जांच कराने नहीं ले जाया गया.
आवेदन में कहा गया है कि आरोपित डॉक्टर और उसके पति द्वारा मिलकर साजिश के तहत उसके आर्थिक कमजोरी को हथियार बनाया जा रहा है, ताकि साक्ष्य को समाप्त कर दिया जाये. इधर मरीज आशा देवी को सिर्फ एक किडनी है और उसमें 09 एमएम का पत्थर है. जिससे मरीज कि हालत दिन व दिन बिगड़ती जा रही है.
आवेदक ने आशंका जाहिर किया है कि जांच कमेटी द्वारा जान बूझकर मेडिकल जांच में देरी किया जा रहा है, ताकि मरीज जांच से पहले ही दम तोड़ दे और आरोपित डॉक्टर शीला राणा दोष मुक्त हो जाए. पीड़ित के परिजन ने आशंका जताया है कि आरोपित उन्हें जांच के नाम पर जान से भी मार सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो संबंधित जांच कर्मी एवं आरोपित डॉक्टर राणा इसकी जिम्मेदार होगी. उन्होंने जांच के नाम पर पीड़िता को प्रताड़ित करने का आरोप भी लगाया है.
डीएम से इस मामले में न्याय कि गुहार लगाते हुए पीड़ित परिजन ने किसी वरीय अधिकारी की देखरेख में और सरकारी खर्च पर जांच की व्यवस्था करने की मांग की है. उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुरक्षा बल के संरक्षण में पीड़िता आशा देवी की जांच दरभंगा के बदले पटना में करवाने की मांग की है.
चर्चा में रहा है किडनी मामला
यह मामला सदर बाजार के चकला निर्मली स्थित मेरी गोल्ड रौनक राज हॉस्पिटल से संबंधित है. पीड़ित आशा देवी सदर थाना क्षेत्र के बैरो गांव की रहने वाली है. जिसका प्रसव इसी नर्सिंग होम में डॉ शीला राणा की देखरेख में 27 जुलाई 2017 को पेट का ऑपरेशन कर किया गया था.
पीड़िता के पति मनोज कुमार चौधरी ने सीएस, डीएम और सदर थाने में आवेदन देकर कहा था कि प्रसव के उपरांत कुछ दिनों के बाद पीड़िता के पेट में अचानक दर्द होने लगा.
जिसके बाद मरीज को स्थानीय सर्जन डॉ ओपी अमन के पास दिखाया गया. डॉक्टर ने मरीज का अल्ट्रा साउंड कराने की सलाह दी. जब आशा देवी का अल्ट्रासाउंड कराया गया तो रिपोर्ट में एक किडनी नहीं होने की बात कही गयी.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ घनश्याम झा ने कहा कि पीड़िता व परिजन द्वारा लगाया गया आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है. इस तरह की कहीं कोई डिमांड सदर अस्पताल व कर्मियों द्वारा नहीं की गयी है.
- हथियार के बल पर अपराध की घटना को देते थे अंजाम
- गुप्त सूचना के आधार पर सदर थाना पुलिस ने की कार्रवाई