सीवान . नये साल में जमीन की रजिस्ट्री दोगुनी होने जा रही है. इसका सीधा असर शहर से लेकर गांव तक जमीन खरीदने-बेचने वाले सभी लोगों पर पड़ेगा. राज्य सरकार ने लगभग एक दशक बाद जमीन और फ्लैट के निबंधन दरों में बड़े इजाफे की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने सभी जिलों में जमीन के न्यूनतम मूल्य दर यानी एमवीआर की समीक्षा के निर्देश जारी कर दिए हैं. इसके तहत शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जमीन का नए सिरे से आकलन होगा और कई इलाकों में रजिस्ट्री दर मौजूदा दर से लगभग दोगुनी तक पहुंच सकती है. बताया जाता है कि लंबे समय से जमीन के सरकारी दर और बाजार भाव में भारी अंतर बना हुआ है. खासकर मुख्य सड़कों, विकसित कॉलोनियों और नव अधिग्रहित शहरी इलाकों में जमीन के वास्तविक दाम कई गुना बढ़ चुके हैं, लेकिन रजिस्ट्री अब भी पुराने रेट पर हो रही है. इसी वजह से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. अब इस अंतर को खत्म करने के लिए सर्किल रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया है.
समिति की रिपोर्ट पर राज्य सरकार लगायेगी मुहर
इस काम के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला मूल्यांकन समितियों को जिम्मेदारी दी गई है. समिति शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में किये गये वर्गीकरण के आधार पर जमीन और फ्लैट के मौजूदा बाजार मूल्य का आकलन करेगी और नई दरों की अनुशंसा करेगी. जिला अवर निबंधक समिति के सचिव होंगे, जबकि अपर समाहर्ता (राजस्व), भूमि सुधार उप समाहर्ता, अंचलाधिकारी और राजस्व पदाधिकारी इसके सदस्य हैं. समिति की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार अंतिम मुहर लगायेगी. सबसे ज्यादा जोर नगर परिषद और नगर पंचायत के नवअधिग्रहित क्षेत्रों पर दिया जा रहा है, जहां हाल के वर्षों में तेजी से विकास हुआ है. इसके बावजूद रजिस्ट्री दर अब तक कम बनी हुई थी. इसका सीधा असर मध्यम वर्ग और छोटे खरीदारों पर पड़ेगा, जिन्हें जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए पहले से कहीं ज्यादा शुल्क चुकाना होगा.मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक 32168 निबंधन
आंकड़े बताते हैं कि रजिस्ट्री से सरकार की कमाई लगातार बढ़ रही है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक जिले में 32168 दस्तावेजों का निबंधन हो चुका है, जिससे 150.10 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है. यह पिछले वर्ष की तुलना में करीब दो करोड़ रुपये अधिक है और अब तक लक्ष्य का लगभग 65 प्रतिशत हासिल किया जा चुका है. एमवीआर बढ़ने के बाद रजिस्ट्री और स्टांप शुल्क से सरकार की आय में और बड़ा उछाल आएगा. जिला अवर निबंधक पंकज कुमार झा का कहना है कि बाजार मूल्य और सरकारी दर में अंतर को देखते हुए यह जरूरी हो गया था. नई दरें लागू होने के बाद रजिस्ट्री प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी होगी और सरकार को वास्तविक मूल्य के अनुसार राजस्व प्राप्त हो सकेगा. माना जा रहा है कि नये साल में संशोधित एमवीआर लागू कर दिया जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

