नयी दिल्ली / सीवान : बिहार के पूर्व राजद सांसद शहाबुद्दीन को पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड और तेजाब कांड समेत कई मामलों में सीवान जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल शिफ्ट करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. शहाबुद्दीन पर 45 मामले दर्ज हैं और पत्रकार हत्याकांड की जांच बिहार सरकार ने सीबीआइ से कराने की सिफारिश पहले ही कर चुकी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश अमिताव राय की खंडपीठ के समक्ष सीबीआइ ने इस मामले में दलील देते हुए कहा था कि शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल हस्तांतरित करने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है. आरोपी के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए ऐसा करना जरूरी है.
बहुत पहले से हो रही सुनवाई
पहले हुई सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा था कि आरोपी पक्ष की ओर से बार-बार निष्पक्ष सुनवाई की बात कही गयी है, लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए कि आरोपी के साथ पीड़ित पक्ष के लिए निष्पक्ष सुनवाई काफी मायने रखती है. पीड़ित के साथ किसी प्रकार की नाइंसाफी को न्यायोचित नहीं माना जा सकता है. पीड़ित पक्ष को न्याय मिलना जरूरी है ताकि न्याय के प्रति लोगों का विश्वास बना रहे. सुनवाई के दौरान शहाबुद्दीन के वकील ने पहले कहा था कि सभी मामले राजनीति से प्रेरित है और अगर आरोपी को बाहर के जेल में भेजा गया तो यह उसके संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा. इस मामले में बिहार सरकार, सीबीआइ, शहाबुद्दीन और पीड़ित पक्ष अपनी दलील खंडपीठ के सामने रख चुके हैं और उम्मीद है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला सुना सकता है.
शहाबुद्दीन के वकील ने रखा था अपना पक्ष
मालूम हो कि पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में पत्नी आशा रंजन और तेजाब हत्याकांड चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा कर शहाबुद्दीन को सीवान जेल से स्थानांतरित करने की मांग की है. शहाबुद्दीन के जेल व उनके मुकदमों के हस्तांतरण को लेकर पहले ही बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में कह चुकी है कि उसे इसमें कोई आपत्ति नहीं है.