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सदर अस्पताल में बनेगा 50 बेड का आइसीयू

सदर अस्पताल परिसर में आधुनिक सुविधाओं से लैस 50 बेड के गहन चिकित्सा यूनिट (आइसीयू )बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 23.75 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिये गये हैं.

सीवान. सदर अस्पताल परिसर में आधुनिक सुविधाओं से लैस 50 बेड के गहन चिकित्सा यूनिट (आइसीयू )बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 23.75 करोड़ रुपये उपलब्ध करा दिये गये हैं. सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि बताया कि प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद बहुत जल्द ही प्रस्तावित जमीन की मापी कर डीपीआर बनाया जाएगा. सदर अस्पताल परिसर में आइसीयू का निर्माण हो जाने के बाद सीवान के लोगों को काफी राहत मिलेगी. गंभीर स्थिति के मरीजों के इलाज के लिए उन्हें गोरखपुर या पटना नहीं जाना पड़ेगा. फसल अवशेष जलाने वाले किसान कृषि योजनाओं से हो सकते हैं वंचित ,सीवान.शनिवार को जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में फसल अवशेष को खेतों में न जलाने से संबंधित जिला स्तरीय अंतर विभागीय कार्य समूह की बैठक कलेक्ट्रेट कक्ष में आयोजित की गयी. जिसमें फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को कृषि कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिये जाने की चेतावनी दी गयी. बैठक में चर्चा के दौरान कहा गया कि फसल अवशेषों को खेतो में जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति तथा मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.फसल अवशेष को खेतों में जलाने से सांस लेने में तकलीफ आंखों में जलन, नाक एवं गले की समस्या बढ़ती है.जिलाधिकारी ने कहा ,फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर सभी संबधित विभाग मिलकर पूरी गंभीरता से करे कार्य करें.उन्होंने कहा कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार करवायें. उन्होंने किसान चौपालों में कृषि वैज्ञानिकों की उपस्थिति में किसानों को फसल जलाने से होने वाले नुकसान एवम पराली प्रबंधन की जानकारी देने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि विद्यालयों में बच्चों को फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दें. उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से खेतो की उर्वरा शक्ति को काफी नुकसान पहुंचती है एवं प्रकृति तथा मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की ओर से कई कृषि यंत्र किसानों को अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि किसान खेतों में फसल अवशेष को न जला कर उसे यंत्र द्वारा खाद के रूप में उपयोग कर सकें. उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को कृषि कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ सकता है.

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