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48.16 फीसदी छात्रों का ही बना अपार कार्ड

जिले के सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की अपार आइडी बनाने का प्रोसेस काफी धीमा है. दिसंबर की शुरुआत से ही बच्चों की अपार आइडी बनाने को लेकर अभियान जारी है. तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक जिले में महज 48.16 फीसदी बच्चों का ही अपार नंबर जेनरेट हो सका है.

प्रतिनिधि, सीवान. जिले के सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की अपार आइडी बनाने का प्रोसेस काफी धीमा है. दिसंबर की शुरुआत से ही बच्चों की अपार आइडी बनाने को लेकर अभियान जारी है. तमाम प्रयासों के बावजूद अब तक जिले में महज 48.16 फीसदी बच्चों का ही अपार नंबर जेनरेट हो सका है. रिपोर्ट के अनुसार, जिले में पहली से 12वीं तक कुल 4 लाख 72 हजार 671 बच्चों का एडमिशन है. अब तक इसमें दो लाख 27 हजार 6 सौ 21 बच्चों का ही अपार कार्ड बन पाया है. जिले के आंदर में 42.96, बड़हरिया में 41.53, बसन्तपुर में 41.90, भगवानपुर हाट में 53.34, दरौली में 45.04, दरौंदा में 54.93, गोरेयाकोठी में 63.47, गुठनी में 46.38, हसनपुरा में 49.06, हुसैनगंज में 53.06, लकड़ी नबीगंज में 43.77, महराजगंज में 43.00, मैरवा में 54.06, नौतन में 58.80, पचरुखी में 44.45, रघुनाथपुर में 45.84, सिसवन में 44.71, सीवान में 44.63 तथा जीरादेई प्रखंड में 44.71 फीसदी बच्चों की ही अपार आइडी बनी है. निजी विद्यालय नहीं ले रहे रुचि निजी विद्यालयों की उदासीनता के चलते जिला में अपार कार्ड बनाने की गति शिथिल हो गयी है.शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिला में 738 निजी विद्यालय रजिस्टर्ड है.इनमें से 474 विद्यालयों में ही अपार कार्ड जेनरेट हुआ है. 264 विद्यालय इसके लिए पहल ही नही किए है. निजी विद्यालयों में नामांकित 1 लाख 43 हजार एक सौ ग्यारह में से 28 हजार दो सौ दस बच्चों का ही आधार जनरेट हुआ है.यह कुल नामांकित बच्चों का 19.71 फीसदी है. जबकि सरकारी विद्यालयों में नामांकित तीन लाख बीस हजार 252 छात्रों के विरुद्ध एक लाख 97 हजार 278 छात्रों का आधार कार्ड जेनरेट हो चुका है. सरकारी स्कूलों में नामांकित कुल बच्चों का 61.6 फीसदी बच्चों का अपार कार्ड बन चुका है.निजी विद्यालयों की तरह सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल,मदरसा,संस्कृत,वित्तरहित व वेलफेयर स्कूलों का है. बच्चों की डेटा में भिन्नता के चलते नहीं बन रहा अपार कार्ड विद्यालयों में अपार कार्ड का फरमान शिक्षकों व अभिभावकों के लिए मुसीबत का कारण बन गया है.डेटा में भिन्नता होने के चलते छात्रों का कार्ड जेनरेट नही हो रहा है.जबकि विभाग के वरीय अधिकारियों द्वारा शिक्षकों को दंडित किया जा रहा है.वही छात्रों के परिजन इस मामले में अनभिज्ञ है.विभाग का कहना है कि एक राष्ट्र एक पहचान दिलाने के लिए यह योजना चलायी जा रही है. शिक्षकों का कहना है कि यूडायस पोर्टल पर जो डेटा है ,उसका मेल छात्रों के आधार कार्ड से नही खाता है.मसलन जन्म तिथि व नाम मे भिन्नता है. अधिकांश छात्र ऐसे है जिनके पास आधार कार्ड नही है. 30 फीसदी ऐसे छात्र है, जिनका जन्म प्रमाणपत्र नही बना है.जिससे उनका आधार कार्ड नहीं बन पा रहा है.वही कुछ छात्र ऐसे है,जिनका डेटा यूडायस पोर्टल पर नही है.इन परेशानियों के चलते अपार कार्ड जेनरेट नही हो रहा है. क्या कहते हैं जिम्मेदार अपार आइडी कार्ड से छात्रों को अपने शैक्षणिक रिकॉर्ड को ट्रैक करने और डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने की सुविधा मिलेगी. यह कार्ड छात्रों के लिए आजीवन एक पहचान संख्या के रूप में कार्य करेगा. जिससे उनका शैक्षणिक डेटा हमेशा संगठित रहेगा. शिक्षक छात्रों व अभिभावकों अपार कार्ड के फायदे के बारे में बताएं. जिससे उनके संसय को दूर किया जा सके. अपार कार्ड नही बनाने वाले निजी विद्यालयों पर विभागीय कार्रवाई की जायेगी. राघवेंद्र प्रताप सिंह, डीइओ, सीवान

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