सीतामढ़ी. नगर निगम क्षेत्र के सिर्फ सीतामढ़ी शहर में आम आबादी को नल से जल की आपूर्ति कराने के लिये बीते करीब दो दशक में 25 से 30 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं, लेकिन स्थिति यह है कि आज भी शहर की 25 प्रतिशत आबादी को भी नल से जल की आपूर्ति नहीं मिल रही है. शहरवासी चापाकल पर ही निर्भर हैं. पूर्व में स्थापित जलमीनारों में से सिर्फ नगर निगम कार्यालय परिसर स्थित जल मीनार से ही चंद आबादी को नल से जल की आपूर्ति मिल रही है. बाद में वर्ष-2016-17 में एक बार फिर से शहरवासियों को नल से जल की आपूर्ति कराने के लिये करीब 25 करोड़ रुपये खर्च किये गये. उक्त राशि को शहर के चार अलग-अलग इलाकों में जल मीनार का निर्माण करवाने और शहर के तमाम वार्डों में पाइप लाइन बिछाने व नल का कनेक्शन के नाम पर खर्च किया गया, लेकिन तमाम जगहों तक न तो पाइप लाइन बिछायी जा सकी और न ही नल का कनेक्शन दिया जा सका. उपर से शहर भर की सड़कों व गलियों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिसका आज तक ठीक से रिपेयरिंग तक नहीं हो सका है.
— वार्ड-17 में दो पानी टंकी, फिर भी नल से जल नहीं
— वार्ड-19 में है पानी टंकी, लेकिन एक भी परिवार को नहीं मिल रहा नल का पानी
वार्ड संख्या-19 के पार्षद सुरेंद्र प्रसाद साह ने बताया कि खड़का स्थित पानी टंकी उन्हीं के वार्ड में है. वार्ड-19 से ही जानकी स्थान इलाके की ओर पाइप जाती है और पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन उनके वार्ड के एक भी परिवार को नल से पानी की आपूर्ति नहीं मिलती है. वार्ड-17 में कुछ परिवारों को नल से पानी मिलता है, तो ज्यादातार आबादी को नल से पानी नहीं मिल रहा है. वार्ड संख्या नौ के पार्षद प्रतिनिधि अमित कुमार ने बताया कि उनके वार्ड में एक भी परिवार को नल से जल नहीं मिलता है. वर्ष-2023 में ही एक-एक घर का सर्वे कर नगर निगम को रिपोर्ट दे चुके हैं और तब से प्रयासरत हैं.— निर्माण के बाद आज तक चालू नहीं हुआ है अचंल गली वाला पानी टंकी
— खत्म हो चुका है वुडको का एग्रीमेंट, नये एग्रीमेंट के लिये कराना है संयुक्त सर्वे
पुराना वाला काम वुडको द्वारा करवाया गया था. एक अन्य एजेंसी भी काम की थी, जिसके द्वारा काम ठीक से नहीं करवाया गया था. वुडको का पुराना एग्रीमेंट खत्म हो गया है. नया आवेदन दिया गया है, लेकिन वुडको को पहले संयुक्त सर्वे कराना है, जिसमें नगर निगम के लोग भी शामिल रहेंगे. सर्वे रिपोर्ट के बाद ही एजेंसी के साथ नया एग्रीमेंट किया जा सकता है और आगे का काम बढ़ाया जा सकता है. पीएचडी के अधीन भी कुछ पानी टंकी आता है. ग्रामीण इलाकों के पानी टंकी को नगर निगम अपने अधीन ले लिया है. पाइप लाइनों को ठीक कराया जा रहा है और जहां-जहां पाइप नहीं पहुंची है, वहां तक पाइप बिछाया जा रहा है और पानी टंकी चालू कराने का प्रयास जारी है.— गौतम कुमार, स्वच्छता पदाधिकारी, नगर निगम.
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