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गर्भावस्था में मधुमेह का पड़ सकता है बुरा प्रभाव : सीएस

गर्भावस्था के दौरान होने वाली मधुमेह बीमारी जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाइटस की समय पर पहचान एवं प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सदर अस्पताल में बुधवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ.

सीतामढ़ी. गर्भावस्था के दौरान होने वाली मधुमेह बीमारी जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाइटस की समय पर पहचान एवं प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सदर अस्पताल में बुधवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ. अध्यक्षता सीएस डॉ अखिलेश कुमार ने की. प्रभारी अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अजीत कुमार, जिला कार्यक्रम प्रबंधक असित रंजन, मनोज कुमार और पीरामल फाउंडेशन टीम की उपस्थिति में कार्यक्रम संपन्न हुआ. प्रशिक्षण में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों से प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, जीएनएम, एएनएम एवं लैब तकनीशियन शामिल हुए. इस दौरान गर्भवती महिलाओं में जीडीएम की स्क्रीनिंग, जांच की प्रक्रिया, ब्लड शुगर टेस्ट, रिपोर्ट की व्याख्या, उपचार प्रबंधन एवं रेफरल प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई. सीएस ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह की समय पर पहचान नहीं होने से मां एवं शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने प्रशिक्षण में प्राप्त जानकारी को जमीनी स्तर पर प्रभावी ढ़ंग से लागू करने पर बल दिया.

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