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बिहार में 158 शिक्षकों की नौकरी पर मंडरा रहा खतरा , इस वजह से हो सकती है सख्त कार्रवाई

Bihar Teacher News: बिहार में 158 शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है. प्रमाण-पत्रों की जांच में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। कई शिक्षकों के दस्तावेज संदिग्ध पाए गए हैं, जिससे सख्त कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है. शिक्षा विभाग ने जांच तेज कर दी है.

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Bihar Teacher News: सीतामढ़ी में सक्षमता परीक्षा-2 में सफल शिक्षकों की काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन अब एक के बाद एक नए मामले उजागर हो रहे हैं. ताजा मामला 158 शिक्षकों के संदिग्ध प्रमाण-पत्रों से जुड़ा है. इन शिक्षकों को 9 फरवरी को अपने प्रमाण-पत्र एवं त्रुटियों के सुधार संबंधी साक्ष्य के साथ डीपीओ स्थापना कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था, लेकिन फर्जी या संदिग्ध प्रमाण-पत्र वाले शिक्षक अब सामने आने से हिचकिचा रहे हैं.

काउंसलिंग में नहीं पहुंचे थे शिक्षक

जानकारी के अनुसार, कई शिक्षक ऐसे भी हैं, जिन्होंने काउंसलिंग के दौरान उपस्थिति तो दर्ज कराई, लेकिन प्रमाण-पत्र सत्यापन काउंटर पर नहीं पहुंचे. इन शिक्षकों को DPO कार्यालय द्वारा एक और अवसर प्रदान किया गया था, लेकिन अब वे लापता हो गए हैं. जांच में पाया गया है कि इनमें से कुछ शिक्षकों के पास अमान्य संस्थाओं से जारी प्रमाण-पत्र हैं, जबकि कुछ को DPE संवर्द्धन प्राप्त नहीं हुआ है.

कई के पास नहीं है नियुक्ति पत्र

जांच में यह भी सामने आया है कि कई शिक्षकों के पास नियुक्ति पत्र तक नहीं है, जबकि कुछ ने अब तक अपना प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र अपलोड नहीं किया है. ऐसे शिक्षकों की सूची कार्यालय के सूचना बोर्ड पर भी प्रदर्शित की गई है. मंगलवार को DPO स्थापना कार्यालय में कई शिक्षक पहुंचे, जिन्होंने किसी त्रुटि या भूलवश अपने प्रमाण-पत्र अपलोड नहीं किए थे.

नेपाल से जारी प्रमाण-पत्र भी जांच के घेरे में

सूची में शामिल 158 शिक्षकों में से कई के प्रमाण-पत्र नेपाल से निर्गत पाए गए हैं. इसके अलावा, कुछ शिक्षकों के प्रमाण-पत्र विद्या विनोदिनी संस्थान, हिंदी विद्यापीठ, देवघर से जारी बताए गए हैं. 25 से अधिक शिक्षकों के डीपीई संवर्द्धन में गड़बड़ी मिली है. कुछ मामलों में टीईटी/स्नातक प्रमाण-पत्रों में अंतर पाया गया है, तो कुछ ने एनटीटी कोर्स का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया है.

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सूत्रों के अनुसार, कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं जिनका स्नातक विषय उनके शिक्षक नियोजन के विषय से अलग है, जिससे उनकी योग्यता पर सवाल खड़े हो रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसे शिक्षक शिक्षा व्यवस्था का हिस्सा कैसे बने और इनकी नियुक्ति प्रक्रिया में किस स्तर पर लापरवाही बरती गई? इस पूरे मामले को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है.

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