Bihar: बिहार के सीतामढ़ी जिले के प्रशासनिक गलियारों में उस वक्त हलचल मच गई जब सीनियर डिप्टी कलेक्टर अभिराम त्रिवेदी पर संगठित भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग का सनसनीखेज आरोप सामने आया. सामाजिक कार्यकर्ता जय चतुर्वेदी ने जिलाधिकारी को एक विस्तृत शिकायत पत्र भेजते हुए कहा है कि त्रिवेदी ने अपने कार्यकाल में योजनाबद्ध तरीके से राइस मिल मालिकों, PACS और अन्य अधिकारियों से करोड़ों की अवैध वसूली की है.
राइस मिल टैगिंग में 5-6 लाख की वसूली
शिकायत में कहा गया है कि राइस मिल की टैगिंग के नाम पर प्रति मिल 5 से 6 लाख रुपये तक की वसूली की गई. इतना ही नहीं, STR (स्टॉक ट्रांजिशन रिपोर्ट) साइन कराने के बदले PACS प्रतिनिधियों और मिलरों से भी मोटी रकम ली गई. आरोप है कि जिला प्रबंधक के रूप में महज आठ महीनों में त्रिवेदी ने लगभग दो करोड़ रुपये की अवैध कमाई की.
‘झूठे केस में फंसाने’ की धमकी देकर बनाया दबाव
शिकायतकर्ता का दावा है कि त्रिवेदी ने जिले में अधिकारियों और कर्मचारियों को झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर एक भय का वातावरण तैयार किया. इस डर का फायदा उठाकर उन्होंने एक संगठित भ्रष्टाचार नेटवर्क खड़ा किया, जो सीधे तौर पर पैसों की वसूली में लगा था. यह नेटवर्क योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा था और उसमें कई अन्य कर्मचारी भी संलिप्त बताए जा रहे हैं.
2014 में भी उजागर हुआ था भ्रष्टाचार
यह पहला मौका नहीं है जब अभिराम त्रिवेदी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हों. वर्ष 2014 में भी उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया गया था. आर्थिक अपराध इकाई (EoU) की छापेमारी में उनके पास से लगभग दो करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति का खुलासा हुआ था, जो सरकारी वेतन से कहीं अधिक था.
डीएम ने दिए जांच के आदेश, शिकायतकर्ता से संपर्क न होने पर देरी
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने DDC को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है. हालांकि प्रशासन का कहना है कि शिकायतकर्ता से बार-बार संपर्क की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संवाद नहीं हो पाने के कारण जांच में थोड़ी देरी हो रही है. वहीं प्रशासनिक हलकों में यह मामला तेजी से सुर्खियों में है और अब सबकी निगाहें जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं.