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सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है!

सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है! फोटो नंबर- 21 ऊपर से ही शुरू होता है खाद्यान्न का गोलमाल रैक से खाद्यान्न की आपूर्ति में सैकड़ों क्विंटल का घोटाला इसी कारण डीलर करते हैं उपभोक्ताओं की हकमारी गत दिन डीएम की बैठक में हुआ था पूरे मामले का खुलासा प्रतिनिधि, सीतामढ़ी. सरकार के स्तर से […]

सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है! फोटो नंबर- 21 ऊपर से ही शुरू होता है खाद्यान्न का गोलमाल रैक से खाद्यान्न की आपूर्ति में सैकड़ों क्विंटल का घोटाला इसी कारण डीलर करते हैं उपभोक्ताओं की हकमारी गत दिन डीएम की बैठक में हुआ था पूरे मामले का खुलासा प्रतिनिधि, सीतामढ़ी. सरकार के स्तर से गरीबों को मिलने वाले खाद्यान्न में गोलमाल की बात पुरानी है. गरीबों की हकमारी होती रही है, क्याेंकि एसएफसी गोदाम से डीलरों को हर बोरा में कम खाद्यान्न दिया जाता है और डीलर भी उपभोक्ताओं को निर्धारित मात्रा से कम खाद्यान्न देते हैं, लेकिन यह जान कर हैरानी होगी कि हर बोरा में खाद्यान्न कम रहता है और यह ऊपर से ही होता है. इसी को लेकर लोगों का कहना है कि खाद्यान्न में सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है. तौल कर नहीं मिलता खाद्यान्न डीएम व एसडीओ के स्तर से एसएफसी को बार-बार यह निर्देश दिया जाता है कि गोदाम से डीलरों को तौल कर ही खाद्यान्न दें अन्यथा कार्रवाई की जायेगी. सच्चाई यह है कि जिले के अधिकांश गोदामों का मापतौल मशीन खराब है. डीलरों की माने तो मापतौल मशीन ठीक रहने के बावजूद तौल कर खाद्यान्न नहीं दिया जाता है. विवाद में न पड़ने के चलते डीलरों द्वारा इस बात की शिकायत वरीय अधिकारी से नहीं की जाती है. वैसे कुछ डीलर हैं जो इस सच्चाई से अधिकारियों को अवगत कराते रहे हैं. कार्रवाई नदारद रही है. तभी डीलर करते हैं हकमारी डीलरों को एसएफसी गोदाम से करीब-करीब हर बोरा में कम खाद्यान्न मिलता है. तीन से चार किलो तक खाद्यान्न कम रहता है. यह बात पुरानी है. इसी कमी का भरपाई करने के लिए डीलरों द्वारा उपभोक्ताओं की हकमारी की जाती है. एक तो निर्धारित मात्रा से कम खाद्यान्न दिया जाता है और उपभोक्ताओं से अधिक पैसा भी लिया जाता है. बैठक में हुआ खुलासा गत दिन जिला स्तर पर आपूर्ति की समीक्षा बैठक में एसएफसी की ओर से डीएम को बताया गया कि रैक से स्थानीय स्टेशन पर जो खाद्यान्न आता है, उसके हर बोरा में खाद्यान्न कम रहता है. यह सूचना कम चौंकाने वाला नहीं है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हर माह कितना बोरा खाद्यान्न आता है और उसमें से कितना क्विंटल खाद्यान्न ऊपर ही हजम कर लिया जाता है. यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि इस खाद्यान्न घोटाले में ऊपर के कौन-कौन से अधिकारी संलिप्त हैं. कारण कि बगैर अधिकारी की मिलीभगत के इतना बड़ा खाद्यान्न घोटाला संभव ही नहीं है. घोटाले में संलिप्त रहे हैं अधिकारी जिला स्तर पर अब तक न जाने खाद्यान्न घोटाले के कितने मामले सामने आ चुके हैं. कई अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी, जिसमें कई एसडीओ व एमओ भी शामिल थे. घोटाले से संबंधित मामले कोर्ट में लंबित है. ऐसी बात नहीं कि इन घोटालों के सामने आने के बाद इस पर रोक लग गयी, बल्कि बढ़ती ही गयी. रून्नीसैदपुर गोदाम के एक एजीएम ने चार करोड़ से अधिक का खाद्यान्न गबन कर लिया था. इसकी भी प्राथमिकी दर्ज कराने के साथ ही खाद्यान्न की राशि वसूली के लिए एजीएम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. जानकारों की माने तो एसएफसी के तमाम गोदामों की जांच करायी जाये तो हर गोदाम में सैकड़ों क्विंटल खाद्यान्न कम मिलेगा. कहते हैं डीलर संघ के अध्यक्ष बोखड़ा प्रखंड डीलर संघ के अध्यक्ष कलाम खां कहते हैं कि गोदाम पर तौल कर खाद्यान्न नहीं मिलता है. पलदारी का भी पैसा नहीं मिलता है. संबंधित संवेदक द्वारा डीलरों की दुकानों तक खाद्यान्न नहीं पहुंचायी जाती है. डीलर खुद गोदाम से खाद्यान्न का उठाव करते हैं. हकमारी पर खोला मुंह बोखड़ा प्रखंड के डीलर दिनेश कुमार, मिथिलेश झा व कमलेश कुमार ने बताया कि गोदाम पर तौल कर खाद्यान्न नहीं दिया जाता है. हर बोरा में तीन से चार किलो खाद्यान्न कम रहता है. गोदाम प्रभारी दीपक कुमार ने बताया कि पलदारी का पैसा देने का काम संवेदक दिलीप साह का है. डीलरों की दुकानों तक खाद्यान्न पहुंचाने की बाबत संवेदक ही कोई जानकारी देंगे. तौल कर खाद्यान्न नहीं देने के आरोप को श्री कुमार ने निराधार बताया. कहते हैं अधिकारी एडीएसओ अनिल कुमार महतो ने बताया कि डीलरों को कम खाद्यान्न की आपूर्ति व रैक से आने वाले खाद्यान्न में कमी का मामला डीएम की बैठक में उठा था. बैठक की कार्यवाही प्रतिवेदन आते ही इस मामले पर कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.

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