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तीन दशक बाद भी नहीं बन सकीं सड़कें

कभी हजारों की आबादी के लिए सड़क थी लाइफ लाइन पंथपाकर मोड़ चौक पर दुकानदारों का कारोबार हुआ चौपट बथनाहा : प्रखंड अंतर्गत बथनाहा हाइस्कूल से रामनगर गांव तक की दूरी एक किमी से भी कम है. लेकिन, इस एक किमी की दूरी तय करना वर्तमान में किसी जंग जीतने से कम नहीं रह गया […]

कभी हजारों की आबादी के लिए सड़क थी लाइफ लाइन

पंथपाकर मोड़ चौक पर दुकानदारों का कारोबार हुआ चौपट
बथनाहा : प्रखंड अंतर्गत बथनाहा हाइस्कूल से रामनगर गांव तक की दूरी एक किमी से भी कम है. लेकिन, इस एक किमी की दूरी तय करना वर्तमान में किसी जंग जीतने से कम नहीं रह गया है. 32 वर्ष एक युग के समान होता है. इतने वर्षों में काफी कुछ बदल चुका होता है. यहां भी इतने वर्षों में कई सांसद एवं विधायक अपनी पारी खेल कर जा चुके हैं, लेकिन उक्त अति महत्वपूर्ण सड़क आज भी निर्माण की बाट जोह रही है. बता दें कि उक्त सड़क पंथपाकर, रामनगर, छतवागढ़, कमलदह, रामपुर, इंदरवा आदि गांवों से आकर पढ़ाई करने आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए एकमात्र सड़क है. अंग्रेज के जमाने से ही उक्त सड़क भटुआडीह, माधोपुर, विशनपुर, मझौलिया, डुमरिया, रनौली, हरिहरपुर, सोनबरसा, दिग्घी, मदनपट्टी आदि दर्जनों गांव के लोगों के लिए सीतामढ़ी शहर तथा जिला मुख्यालय तक कम दूरी व कम समय में सफर तय करने के लिए लाइफलाइन थी.
ग्रामीणों ने निजी प्रयास से मिट्टी पर कर रास्ते को चलने लायक बनाया : वर्ष 1986-87 में उक्त सड़क को ईंट सोलिंग नसीब हुआ. तब से दो दशकों तक उक्त सड़क दर्जनों गांव के छात्र-छात्राओं तथा हजारों की आबादी के लिए सुगमता के साथ सफर करने में सहायक बनी हुई थी. अधिक व्यस्त रहने के कारण सड़क धीरे-धीरे जर्जर होकर गर्त में चला गया. पिछले करीब डेढ़ दशक से उक्त सड़क से सफर करना खतरों से खेलने जैसा है.
हाइस्कूल से चंद मीटर की दूरी पर लखनदेई से निकले नहर पर बने स्लूइस गेट पुल भी क्षतिग्रस्त पड़ा है. कई महीनों तक रास्ता अवरुद्ध रहने के बाद ग्रामीणों ने निजी स्तर पर मिट्टी से ध्वस्त पुल को भरकर किसी प्रकार आवागमन चालू रखा है, लेकिन वाहनों का परिचालन नहीं हो सकता है.
डेढ़ दशक से तय करनी पड़ रही है लंबी दूरी : सड़क पर जगह-जगह जानलेवा गड़्ढ़े बन आये हैं, जिसके चलते आज की तारीख में उक्त सड़क खामोशी की गर्त में चली गयी है. सड़क किनारे लंबे-लंबे घास उग आये हैं. पिछले करीब डेढ़ दशक से इलाके के लोगों की लंबी दूरी तय कर शहर तथा जिला मुख्यालय आने-जाने की मजबूरी बनी हुई है.
बता दें कि इस बीच दो सांसद बदल चुके हैं. दोनों ही सांसदों द्वारा उक्त सड़क निर्माण के लिए आश्वासन दिया गया था, लेकिन बदहाल महत्वपूर्ण सड़क आज भी अपने निर्माण की बाट जोह रही है. गौरतलब है कि उक्त सड़क रामनगर गांव में जहां खत्म होती है, उससे चंद मीटर की दूरी पर रामायणकालीन पंथपाकर डोली स्थल है. उक्त सड़क के निर्माण हो जाने से क्षेत्र के लोगों को पंथपाकर धाम तक का सफर करना भी सुलभ हो जाएगा. सड़क पर विरानगी रहने के चलते पंथपाकर मोड़ पर व्यापार करने वाले कई दुकानदारों के व्यापार भी चौपट हो गये हैं. पंथपाकर मोड़ चौक पर भी सन्नाटा पसरा रहता है.

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