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… तो ऐसे लगायी गयी रेलवे की जमीन पर मां जानकी की उद्भव झांकी

सीतामढ़ी : स्थानीय रेलवे स्टेशन परिसर में मां जानकी के उद्भव की झांकी लगी है. दो-चार लोगों को ही यह बात मालूम है कि रेलवे द्वारा कानून को दरकिनार कर मां सीता की झांकी लगाने की अनुमति दी गयी थी. जिस वर्ष झांकी लगायी गयी थी, उससे 22 वर्ष पूर्व रेलवे ने एक कानून बनाकर […]

सीतामढ़ी : स्थानीय रेलवे स्टेशन परिसर में मां जानकी के उद्भव की झांकी लगी है. दो-चार लोगों को ही यह बात मालूम है कि रेलवे द्वारा कानून को दरकिनार कर मां सीता की झांकी लगाने की अनुमति दी गयी थी. जिस वर्ष झांकी लगायी गयी थी, उससे 22 वर्ष पूर्व रेलवे ने एक कानून बनाकर किसी भी प्रायोजन के लिए दूसरे को रेलवे की जमीन देने का प्रावधान समाप्त कर दिया था. यह बात मालूम होने के बावजूद जिले के जाने-माने शिल्पकार फणी भूषण विश्वास हार नहीं माने थे. उन्हें मानो पूरा यकीन था कि मां जानकी की महिमा से रेलवे की जमीन पर मां सीता की झांकी लगाने का उनका सपना एक दिन साकार जरूर होगा.

तब साकार हुआ फणी भूषण का सपना
लगातार पांच वर्षों तक का उनका संघर्ष तब कामयाब हुआ, जब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के हस्तक्षेप के बाद कानून को दरकिनार कर रेलवे ने झांकी लगाने की अनुमति दी थी. राष्ट्रपति के स्तर से हरी झंडी मिलने के बाद रेलवे बोर्ड के तत्कालीन एक्सक्यूटिव डायरेक्टर पीडी शर्मा ने ईस्ट-सेंट्रल रेलवे, हाजीपुर के तत्कालीन जीएम को पत्र भेजकर उक्त आशय की जानकारी दी थी. 18 मार्च 2008 को निर्गत पत्र में श्री शर्मा ने इस मामले को ‘स्पेशल केस’ बताया था. साथ ही लिखा था कि इस तरह मामले की ‘भविष्य में पुनरावृत्ति’ नहीं की जायेगी.
फणी ने देखा था बेहतर सोच के तहत सपना: श्री विश्वास ने एक बेहतर सोच के तहत रेलवे स्टेशन परिसर में मां सीता की झांकी लगाने का सपना देखा था. यह सपना पूरा हुआ. इसमें उनका पूरा साथ दिया पूर्व स्टेशन अधीक्षक व शहर के निवासी बच्चा प्रसाद विह्वल ने. श्री विश्वास की सोच थी कि स्टेशन पर जैसे ही यात्री ट्रेन से उतर कर बाहर आयेंगे तो उन्हें पहला दर्शन मां जानकी की होगी.
नये यात्रियों को यह समझते देर नहीं लगेगी कि यह वही सीतामढ़ी है, जहां मां जानकी का उद्भव हुआ था. इसके लिए वे सबसे पहले श्री विह्वल से मिले. विह्वल ने उन्हें जानकारी दी कि रेलवे ने वर्ष 1982 में ही एक कानून बनाकर किसी भी प्रयोजन के लिए दूसरे को जमीन आवंटित करने का प्रावधान समाप्त कर दिया है. इस कारण इसमें माथा लगाना उचित नहीं है. वे जिद पर थे रेलवे स्टेशन परिसर में ही झांकी लगायेंगे और वह भी संगमरमर की.
उनकी जिद के आगे श्री विह्वल को झुकना पड़ा और न चाहते हुए भी जमीन के लिए रेलवे के डीआरएम से विभागीय मंत्री तक को पत्र लिखा पड़ा था. हर जगह से निराशाजनक जवाब मिला था. पीएमओ कार्यालय, कई केंद्रीय मंत्री व सांसद तक को पत्र लिखा गया, पर बात नहीं बनी थी.
शक्ति की हस्ती को लिखा पत्र: श्री विह्वल ने राष्ट्रपति को शक्ति की हस्ती मान कर उन्हें बड़ा ही मार्मिक पत्र भेजा. यह पत्र दोनों का एक तरह से अंतिम ब्रह्मास्त्र था.
पत्र के माध्यम से तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने शिल्पकार श्री फणी की भावना व अंतरात्मा की आवाज सुनी और रेलवे की जमीन पर जानकी की झांकी लगाने की स्वीकृति दे दी थी.
किसी प्रायोजन के लिए दूसरे को नहीं था जमीन आवंटित करने का प्रावधान
झांकी लगाने के प्रस्ताव को रेलवे
व अधिकारियों ने था ठुकराया
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटील के आदेश पर रेलवे को
देनी पड़ी थी जमीन

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