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शहर से लेकर देहात तक में चल रहा खरीद-बिक्री का गोरखधंधा

सीतामढ़ी : शहर से लेकर गांव तक में कुकुरमुत्ते की भांति खुले दवा दुकानों की नियमित जांच नहीं होने से दवा का अवैध कारोबार फैलता ही जा रहा है.नियम-कानून को ताक पर रखकर सरकारी राजस्व को चूना लगाने वाले अवैध दवा कारोबारियों पर शिकंजा नहीं कसे जाने को लेकर औषधि विभाग के अधिकारी व कर्मी […]

सीतामढ़ी : शहर से लेकर गांव तक में कुकुरमुत्ते की भांति खुले दवा दुकानों की नियमित जांच नहीं होने से दवा का अवैध कारोबार फैलता ही जा रहा है.नियम-कानून को ताक पर रखकर सरकारी राजस्व को चूना लगाने वाले अवैध दवा कारोबारियों पर शिकंजा नहीं कसे जाने को लेकर औषधि विभाग के अधिकारी व कर्मी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. तीन दिन पूर्व नगर के सटे बरियारपुर गांव के वार्ड संख्या-एक स्थित एक शिक्षक के मकान से भारी मात्रा में विभिन्न अंग्रेजी दवा कंपनी का सेंपल बरामद होने के बाद यह गोरखधंधा सामने आया है.
नगर थाने की पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर वहां छापेमारी कर अवैध दवाइयों के साथ दो कारोबारी को गिरफ्तार किया था. कमरे से छापेमारी में 152 प्रकार की सेंपल दवाइयां बरामद की गयी है. दवाइयों की जांच में विभाग ने भी पाया कि उक्त सभी दवाइयां दवा कंपनी के विक्रय प्रतिनिधियों के माध्यम से कारोबारी द्वारा खरीद की गयी है. सूत्रों के अनुसार, जांच में कई दवा कंपनियों के विक्रय प्रतिनिधियों (एमआर) के भी शामिल होने के सबूत मिले हैं. इन सभी को चिह्नित कर इनकी गिरफ्तारी का प्रयास किये जाने की बात सामने आ रही है. पुलिसिया जांच में यह बात सामने आयी है कि इस प्रकार के सेंपल का इस्तेमाल अधिकतर ग्रामीण इलाकों में किया जाता है. भोले-भाले व अनपढ़ मरीजों को इन कारोबारियों द्वारा जमकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है.
लाइसेंस किसी का, दुकान चला रहा कोई और
प्रभात खबर ने अपनी पड़ताल में यह पाया कि जो दवा दुकान निबंधित है, उसका लाइसेंस किसी और के नाम पर है, जबकि दुकान का संचालन कोई और कर रहा है. बताते चले कि नियम के मुताबिक दवा दुकान खोलने के लिए लाइसेंस का होना जरूरी है. बिना लाइसेंस के दवा दुकान कानूनी रूप से अवैध है. नियम में स्पष्ट है कि दवा दुकान का लाइसेंस उसी को मिलेगा जिसने फार्मासिस्ट की डिग्री लिया है. आम तौर पर उक्त डिग्री की आड़ में डिग्री गिरवी रखने का धंधा चल पा रहा है. जिसमें प्रमाण-पत्र दूसरे व्यक्ति का है, जो कुछ मासिक राशि पर उक्त प्रमाण पत्र के बदले दुकानदार से भुगतान पाता है. हैरान करने वाली बात यह है कि विभाग को इस प्रकार की सूचना रहने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है.
1922 दवा दुकानों को मिला है लाइसेंस
जिले के शहरी से लेकर कस्बाई क्षेत्र में दवा की 1922 दुकानें निबंधित है. वहीं एक अनुमान के आधार पर लगभग दो हजार से अधिक दवा दुकानें अवैध रूप से चल रहा है. अनिबंधित दवा दुकानों में नकली दवाइयों के मिलने की बात भी कही जा रही है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से औषधि विभाग की ओर से दवा दुकानों के लाइसेंस का सत्यापन नहीं किया गया है. लाइसेंस का सत्यापन किस कारण से रूका है, इसको लेकर अधिकारियों व कर्मचारियों के पास स्पष्ट जवाब नहीं है. अधिकारी बताते हैं कि दो मार्च 2017 से जिले में दवा दुकानों को लाइसेंस निर्गत करने की प्रक्रिया ठप है. कर्मियों का कहना है कि आवेदन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण लाइसेंस में देरी हो रही है. फिलवक्त कार्यालय में 10 से 15 आवेदन दवा दुकान के लाइसेंस के लिए आया है.

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