शेखपुरा में आलू बेचते विपिन कुमार .
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शराबबंदी ने बदली विपिन की तकदीर
शेखपुरा में आलू बेचते विपिन कुमार . शेखपुरा : चालीस साल के विपिन कुमार की जिंदगी एक बार फिर उस दिशा में चल पड़ी है, जहां से भटकाव के बाद पूरा परिवार बरबादी के दलदल में फंस रहा था. जीवन का यह चमत्कार सूबे में शराबबंदी से हुआ. लोग नये साल का जश्न मनाने की […]
शेखपुरा : चालीस साल के विपिन कुमार की जिंदगी एक बार फिर उस दिशा में चल पड़ी है, जहां से भटकाव के बाद पूरा परिवार बरबादी के दलदल में फंस रहा था. जीवन का यह चमत्कार सूबे में शराबबंदी से हुआ. लोग नये साल का जश्न मनाने की तैयारी में हैं, जबकि बदलाव के सफ़र को चल पड़ा विपिन का परिवार शराबबंदी से मिले नये जीवन के वरदान का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है. दरअसल शेखोपुरसराय के मधेपुर गांव निवासी विपिन पिछले तीन वर्षों से शराब के नशे में ऐसे डूबे थे कि सौ-पचास रुपये बस हाथ में आने की देरी थी, वे तुरंत शराब दुकान की दौड़ लगा देते थे.
गैस-चूल्हा की मरम्मत और बिक्री का दुकान चलाने वाले विपिन शेखपुरा जिला मुख्यालय के खांडपर मोहल्ले में पिछले 15 सालों से कारोबार कर कई सालों से अपने परिवार के साथ रहते थे. जिंदगी के दौर में शराब की लत ऐसी लगी कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर भी आये दिन घर में झगड़ा आम बात हो गयी थी. शराब की एक लत ने चार सदस्यों के इस परिवार का सारा सुख-चैन छीन लिया था. बिहार में सरकार ने अचानक करीब आठ माह पहले जब शराबबंदी का एतिहासिक फैसला लिया. तब जिन्दगी में परिवार की जिम्मेवारियों के बोझ का एहसास हुआ और कारोबार की चिंता बढ़ने लगी. विपिन कहते हैं की पुराने कारोबार शराब की लत की वजह से चौपट हो गया. लेकिन दोस्तों की सलाह से मात्र एक माह में होने वाले शराब के खर्चे से आलू और प्याज का खुदरा कारोबार शुरू किया.
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