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सदर अस्पताल में लोगों का हंगामा बच्चे से नहीं मिलने देने पर फूटा आक्रोश

शेखपुरा़ : लावारिस बच्चे को उठा कर इलाज के लिए सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भरती कराने के बावजूद उसी महिला को ही जब उस बच्चे से मिलने से रोक दिया गया, तो आक्रोशितों ने जम कर हंगामा किया. एसएनसीयू के समक्ष हंगामा मचा रहे लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर मनमानी एवं उस बच्चे को […]

शेखपुरा़ : लावारिस बच्चे को उठा कर इलाज के लिए सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भरती कराने के बावजूद उसी महिला को ही जब उस बच्चे से मिलने से रोक दिया गया, तो आक्रोशितों ने जम कर हंगामा किया. एसएनसीयू के समक्ष हंगामा मचा रहे लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर मनमानी एवं उस बच्चे को अनाथालय भेजे जाने की आड़ में उसका सौदा कर दिये जाने का आरोप लगाया. इस दौरान उस बच्चे को उठानेवाली मां एवं उसके साथ मौजूद लोगों ने कहा कि अब उसे उस बच्चे से मिलने तक नहीं दिया जा रहा है. जबकि इस महिला ने न केवल उस बच्चे की जान बचायी बल्कि इलाज के दौरान खर्च होनेवाली राशि का भी व्यय किया और दिन-रात बच्चे की सेवा में लगी रही. यह कैसा कानून है कि जान बचानेवाली उस मां को ही उस बच्चे से मिलने तक नहीं दिया जा रहा है.

गौरतलब है कि शहर के बंगाली पर मोहल्ले स्थित एक मंदिर के बगल में वीरान रहनेवाली एक टूटी- फूटी झोंपड़ी में विगत गुरुवार को की अहले सुबह एक नवजात बच्चा फेंका हुआ पाया गया. इस दौरान मोहल्ले के ही मछली विक्रेता कृष्ण पासवान की पत्नी दुलारी देवी ने उस फेंके हुए बच्चे को उठा कर पहले इलाज के लिए निजी क्लिनिक ले गयी और फिर उसके बाद उसे सदर अस्पताल के एसएनसीयू में भरती कराया, तब से महिला एवं उसके परिजन दिन- रात वहां लगे हुए थे और उन लोगों ने उस बच्चे को अपनाने का भी फैसला लिया. बीती शाम से अचानक उनलोगों को उस बच्चे से मिलने पर रोक लगा दी गयी़
इसी से उनलोगों का आक्रोश भड़क गया और उन्होंने हंगामा मचाना शुरू कर दिया. मौके पर पीड़िता ने कहा कि शुरुआत में बच्चे की जब हालत खराब थी, तो उन्हें कुछ नहीं कहा गया और उनसे दवाइयां समेत अन्य सामग्री लगातार लाने को कहा जाता रहा परंतु जब बच्चा स्वस्थ हो गया, तो उनलोगों ने अचानक किनारा कर लिया़ उनके अंदर जाने पर भी पाबंदी लगा दी गयी. ऐसे में आखिर कोई महिला कैसे फेके हुए बच्चे को उठा सकेगी़ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीच-बीच में उनसे दो युवकों ने 20,000 रुपये खर्च करने पर बच्चा उनके हवाले कर दिये जाने का भी सौदा करना चाहा, परंतु वे लोग तैयार नहीं हुए.
और अब बच्चे को अनाथालय भेजने की बात कह कर उन लोगों को बच्चे से मिलने पर रोक लगा दी गयी. इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर एमपी सिंह ने कहा कि लावारिस बच्चे को बाल संरक्षण गृह में ही भेजा जाता है और बाल संरक्षण गृह के अधिकारियों को सूचना होने के पश्चात वे लोग यहां पहुंचे एवं इस बच्चे को उनके हवाले किया जा रहा है़ उन्होंने कहा कि बाल संरक्षण गृह से ही पूरी प्रक्रिया करने के बाद ही कोई व्यक्ति किसी अनाथ बच्चे को गोद ले सकता है़

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