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मिट रहा प्राकृतिक जल स्रोत

आरोप. खांड़ पर स्थित अहरा के भी अस्तित्व को खतरा, विभाग बेखबर जल संकट के मायने में लोग सरकार और प्रशासन की नाकामी को गिनते जरूर हैं, मगर खुद गलतियां करने से बाज नहीं आते है़ं एक के बाद एक कर प्राकृतिक जल स्त्रोतों का वजूद मिटाने के बाद भी हम भूगर्भ जल स्त्रोतों पर […]

आरोप. खांड़ पर स्थित अहरा के भी अस्तित्व को खतरा, विभाग बेखबर

जल संकट के मायने में लोग सरकार और प्रशासन की नाकामी को गिनते जरूर हैं, मगर खुद गलतियां करने से बाज नहीं आते है़ं एक के बाद एक कर प्राकृतिक जल स्त्रोतों का वजूद मिटाने के बाद भी हम भूगर्भ जल स्त्रोतों पर लंबी अवधि तक नाज नहीं कर सकते है़ इसके लिए जिन चंद लोगों की देखा-देखी कर हमलोग अतिक्रमण की होड़ में शामिल हो जाते हैं.
गिरिहिंडा में दशकों से स्थापित रेलवे ट्रैक समेत माइनिंग के बड़े भूखंडों का भी अतिक्रमण
शेखपुरा : समाज चंद लोगों की वजह से प्राकृतिक जल स्रोत का वजूद मिटाने की होड़ में शामिल हो कर अपने वंशजों के और भविष्य के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ा कर रहा है़ जल संकट के मायने में लोग सरकार और प्रशासन की नाकामी को गिनते जरूर हैं, मगर खुद गलतियां करने से बाज नहीं आते है़ं एक के बाद एक कर प्राकृतिक जल स्रोत का वजूद मिटाने के बाद भी हम भूगर्भ जल स्रोत पर लंबी अवधि तक नाज नहीं कर सकते है़
इसके लिए जिन चंद लोगों की देखा-देखी कर हमलोग अतिक्रमण की होड़ में शामिल हो जाते हैं. वैसे लोग और वैसी परिस्थिति का विरोध करना चाहिए़ शहर हो अथवा गांव आज प्राकृतिक जल स्त्रोतों की सुरक्षा में कहीं न कहीं सफेदपोश कहे जाने वालों को पुलिस और प्रशासन का संरक्षण भी मिल रहा है़
आहर की अवैध खुदाई के बाद अतिक्रमण :
शहर का वार्ड संख्या 3 टोले का एक बड़ा जल संग्रह का प्राकृतिक स्त्रोत है़ इसका वजूद गैर मजरूआ और मड़ारी की जमीन से है़ लगभग 05 बीघा के रकबा में फैली इस आहर की बदौलत सैकड़ों एकड़ में धान की फसल के पटवन का बड़ा आधार रहा है़ इस जल स्त्रोत से बारिश का पानी महीनों तक जमा रहता है़ यह जल स्त्रोत के भूगर्भ जलस्तर को मेनटेन करने में काफी अहम रोल अदा कर रहा है़ लेकिन पिछले दो सालों में इस आहर का वजूद भी खतरे में है़ पहले तो इस आहर की अवैध खुदाई की गयी़ चंद लोग इस पर अवैध कब्जा करने की योजना बना कर इसकी भराई कर रहे है. ऐसे में इस बड़े जल स्त्रोत का अस्तित्व आज खतरे में है़
बंगाली और मियां पोखर पर भी खतरा :
शहर के हृदय स्थली कहे जाने वाले कटरा बाजार से सटे बंगाली पोखर का यूं तो बड़ा हिस्सा पर अवैध रूप से दर्जनों भवन निर्माण को अंजाम दिया गया़ वहीं दूसरी ओर आज भी रोजाना तालाब का अतिक्रमण जारी है़ इसका रकवा 04 एकड़ 50 डिसमिल का है़ लेकिन अब जल स्त्रोत के रूप में इसका वजूद तेजी से सिमटता जा रहा है़ इसी प्रकार जमालपुर रोड स्थित शहर का मियां पोखर के अस्तित्व पर र्क तरह से खतरा है़ यहां नगर परिषद् से विवाह भवन का प्रस्ताव भेजा गया है़ इसके पूर्व भी उक्त मियां पोखर का बड़ा हिस्सा अतिक्रमण में अपना वजूद खो चुका है़
क्या कहते हैं अधिकारी :
जिले में अतिक्रमण से संबंधित मामले में सभी अंचलाधिकारियों को निगरानी रखने से लेकर कार्रवाई करने की जिम्मेवारी दी गयी़ इसकी मॉनिटरिंग को लेकर भी बैठकें की जा रही है़
शेखपुरा : रेलवे ट्रैक की घेराबंदी :
शहर में अतिक्रमण का अभियान चला रहे भू-माफिया के आगे प्रशासनिक महकमा की चुप्पी भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है़ शहर के गिरिहिंडा मोहल्ले के बस पड़ाव के समीप पहाड़ी तलहटी पर अगर नजर डालें, तब यहां करीब 40 साल पहले रेलवे अपनी पहाड़ी भूखंडों से पत्थर की लोडिंग के लिए रैक प्वाइंट लगाती थी़ इसको लेकर आज भी बड़े हिस्से में रेलवे की पटरियां बिछी है़ लेकिन हैरत की बात यह है कि पहाड़ी तलहटी तक की घेराबंदी कर ली गयी़ इस घेराबंदी का स्थानीय लोगों ने खुल कर विरोध भी किया़ लेकिन रोकथाम के लिए कोई कार्रवाई नहीं हो सकी़

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