अनदेखी.23 आवेदनों को बैंक में भेजा, लेकिन 05 हुए स्वीकृत
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मत्स्य योजना पर बैंकों की सुस्ती
अनदेखी.23 आवेदनों को बैंक में भेजा, लेकिन 05 हुए स्वीकृत मटोखर दह की बंदोबस्ती में न्यायालय की हुई अनदेखी शेखपुरा : जिले में मत्स्य पालन से अपनी जीविका चलाने की तमन्ना रखने वाले लोगों को अपने ही जुगाड़ पर नाज है. सरकार की योजनाओं का लाभ कुछ लोगों की कुंडली मार कर बैठने की परंपरा […]
मटोखर दह की बंदोबस्ती में न्यायालय की हुई अनदेखी
शेखपुरा : जिले में मत्स्य पालन से अपनी जीविका चलाने की तमन्ना रखने वाले लोगों को अपने ही जुगाड़ पर नाज है. सरकार की योजनाओं का लाभ कुछ लोगों की कुंडली मार कर बैठने की परंपरा ही नहीं टूट रही है. जिले में मत्स्य पालन योजना की स्थिति काफी दयनीय है. यहां कार्यालय स्थापना के बाद केंद्र और राज्य की दो दर्जन आवेदन तालाब खुदाई ऋण के लिए आवेदन बैंकों को भेजा गया. दो दर्जन आवेदनों में अब तक 05 आवेदनों का ही निष्पादन किया गया.
लगभग ढाई से चार लाख की योजना में मत्स्य पालन विभाग 50 फीसदी अनुदान का प्रावधान है. दिलचस्प बात यह है कि इन पांच निष्पादित योजनाओं के आवेदनों में चार केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि योजना का है जो बंद हो चुका है. वहीं दूसरी ओर वर्तमान में चल रहा मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना का अब तक मात्र एक आवेदन का ही निष्पादन किया जा सका है.
बरबीघा के 16 जलकरों की बंदोबस्ती लेने वाला नहीं :
जिले में सभी 170 सरकारी तालाब है. जिसकी बंदोबस्ती की स्थिति पर अगर नजर डालें तब वर्तमान में 151 तालाबों को बंदोबस्ती करायी गयी है. 03 जनलकों में एक मटोखर दह की 10 सालों के लिए दीर्घकालीन बंदोबस्ती वाजितपुर एवं चेवाड़ा बाजार के तालाब की बंदोबस्ती का मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इस मामले में सबसे दिलचस्प बात यह है कि सरकारी तालाबों की बंदोबसती जिन मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को दिया जाता है. उसमें डिफॉल्टरों की भी बड़ी तादाद है. बंदोबस्ती से बचे तालाबों की संख्या 16 हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि ये सभी अबंदोबस्त तालाब बरबीघा के हैं. यहां के मत्स्यजीवी सहयोग समिति डिफॉल्टर है. इसके कारण से वित्तीय वर्ष 2012-13 से ही यहां सरकारी तालाबों की बंदोबस्ती नहीं हो सका. लेकिन महत्वपूर्ण बात यह भी है कि विभाग बरबीघा के अबंदोबसत तालाबों की बंदोबस्ती के लिए सूचना जारी किया जायेगा. इस बार समितियों के सदस्यों को दो बार मौका दिया जायेगा. इसके बाद प्राइवेट लोगों के बीच बंदोबस्ती की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. पिछले पांच सालों से अबंदोबस्त तालाबों से विभागीय राजस्व को चुना लगाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर डिफॉल्टर समिति के सदस्यों के विरुद्ध निलाम वाद की कार्रवाई की जायेगी.
मटोखर दह की बंदोबस्ती में कोर्ट की अनदेखी :
जिले का सबसे प्राचीन और विशालकाय मटोखर दह की लंबाई लगभग एक किमी की है. जबकि चौड़ाई भी आधा किमी से थोड़ा ही कम है. मटोखर दह की बंदोबसती को लेकर जिले के सभी बड़े से छोटे मत्स्य पालक, राजनीतिक और धनाडों की निगाहें टिकी रहती है. लेकिन इस बाद कुछ ऐसा हुआ कि किसी को कानों कान खबर भी नहीं लगी और बंदोबस्ती की प्रक्रिया पटना में निदेशालय स्तर से ही पूरी कर ली गयी. दरअसल पिछले दो सालों से विवादित मटोखर दह का मामला उच्च न्यायालय में लंबित है.
विभागीय अधिकारियों की मानें तब उच्च न्यायालय के इस लंबित मामले में दाखिल शपथ पत्र के लिये निदेशालय से अनुमोदन प्राप्त किया गया था. इस मामले में जिला मत्स्य अधिकारी, जिलाधिकारी शेखपुरा एवं निदेशक को भी पार्टी बनाया गया था. न्यायालय में मामला विचाराधीन रहने के बाद भी पीपीपी मोड के तहत दह की बंदोबस्ती कर दी गयी. सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी भनक तक शेखपुरा जिला मत्स्य कार्यालय को नहीं थी.
‘जिले में तालाबों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया की जा रही है. तालाब निर्माण व पंपिंग सेट की सेट की अनुदानित योजना के कई आवेदन बैंकों में लंबित है. मटोखर दह की बंदोबस्ती के पूर्व उनके कार्यालय को विभाग की ओर से कोई सूचना नहीं दी गयी थी. न्यायालय में विचाराधीन भी है. पीपीपी मोड के तहत निदेशालय स्तर पर ही बंदोबस्ती की गयी.”
शैलेंद्र कुमार वर्मा, जिला मत्स्य पदाधिकारी, शेखपुरा
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