शेखपुरा : इस चुनाव में तब बड़े दिलचस्प परिणाम आये जब सभी सदस्य अध्यक्ष पद की कुरसी के लिए शर्त पर अडिग थे, मगर जो कुछ भी हुआ उसके पीछे उच्च शिक्षा का बड़ा योगदान रहा. पांच साल पहले बेंगलुरु में एक मोबाइल कंपनी की नौकरी छोड़ कर एमबीए के डिग्रीधारी संजीव कुमार नीमी पंचायत […]
शेखपुरा : इस चुनाव में तब बड़े दिलचस्प परिणाम आये जब सभी सदस्य अध्यक्ष पद की कुरसी के लिए शर्त पर अडिग थे, मगर जो कुछ भी हुआ उसके पीछे उच्च शिक्षा का बड़ा योगदान रहा. पांच साल पहले बेंगलुरु में एक मोबाइल कंपनी की नौकरी छोड़ कर एमबीए के डिग्रीधारी संजीव कुमार नीमी पंचायत से मुखिया बने. उस वक्त राजनीतिक सलाहकार के रूप में उनके बहनोई व बरबीघा निवासी संजीत प्रभाकर का लगातार सहयोग रहा,
लेकिन जब इस बार जिप पंचायत चुनाव का दौर एक बार फिर लौटा तब आरक्षण की मार से उन्हें समर्थक प्रत्याशी को मुखिया पद के लिए उतारा, लेकिन संजीव की जीवन साथी निर्मला को जिला परिषद के चुनाव में उतारने का निर्णय लिया. पीएचडी की उच्च शिक्षा से लैस निर्मला को राजनीति भा गयी.
महज पांच सालों के राजनीतिक अनुभव में मुखिया से लेकर जिला परिषद् अध्यक्ष तक सफर तय करने में इस दंपती ने बरबीघा के साथ-साथ शेखपुरा जिले में एक नयाब चेहरा बन कर न सिर्फ उभरा, बल्कि इस पूरे प्रकरण में सत्ता और विपक्ष को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया. नवनिर्वाचित अध्यक्षा निर्मला में राजनीति के इस सफर में कदम-कदम पर साथ देने वाले बुजुर्ग और युवाओं के विकास के लिए सकारात्मक सहयोग की अपील की है.